सबसे बड़ा तीर्थ माता-पिता की सेवा : साध्वी विद्यावती
तेरापंथ जैन धर्म संघ के आचार्य महाश्रमण की शिष्य साध्वी विद्यावती ठाणे-चार ने चातुर्मास कार्यक्रम शुरू
जेएनएन, लहरागागा (संगरूर) :
तेरापंथ जैन धर्म संघ के आचार्य महाश्रमण की शिष्य साध्वी विद्यावती ठाणे-चार ने चातुर्मास के लिए तेरापंथ जैन भवन में मंगल प्रवेश किया। लहरागागा पहुंचने पर तेरापंथ जैन सभा तेरापंथ महिला मंडल व शहर निवासियों की तरफ से साध्वी विद्यावती का भव्य स्वागत करने को रैली निकाली गई व शोभायात्रा के रूप में साध्वी ने जैन भवन में पहुंचे। जैन भवन में पहुंचे श्रद्धालु के ऊपर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा की। साध्वी जी ने कहा कि चातुर्मास के दौरान चार महीने का पावन समय धर्म के बीज बोने का है।
ज्ञान, दर्शन, तप, संयम से आत्मा का कल्याण करने की प्रेरणा दी व उन्होंने अहिसा के रास्ते पर चलने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अहिसा के रास्ते पर चलकर कोई भी लड़ाई या जंग जीती जा सकती है। हम सब अहिसा के रास्ते पर चलकर एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने युवाओं के अंदर बढ़ रहे नशे के प्रचलन के प्रति गहरी चिता जताते हुए सब को एकजुट होकर नशे से लड़ने की प्रेरणा दी। देश के नौजवान देश की तरक्की में अपना योगदान डाल सकते हैं। उन्होंने मां बाप की सेवा को सबसे उत्तम सेवा बताया। जो व्यक्ति अपने मां-बाप की सेवा घर में करता है, उसे किसी तीर्थ पर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने मां-बाप को ही भगवान बताया। जो शब्द सत्संग के अंदर कहे जाते हैं। उन पर अमल कर हम अपनी जिदगी को बदल सकते हैं। समागम के बीच में नगर कौंसिल की प्रधान रवीना गर्ग, नगर कौंसिल के पूर्व एक्टिग प्रधान जगदीश राय ठेकेदार ने मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल होते हुए। उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में जैन धर्म की निभाई जा रही भूमिका की प्रशंसा की। मंच का संचालन डॉ. अशोक पाल जैन द्वारा बखूबी निभाया गया। इस मौके जैन सभा से सदस्य मदन लाल जैन, कुलभूषण जैन, राजेंद्र कुमार ने बताया कि चातुर्मास के दौरान सुबह 5:45 पर मंगल पाठ हुआ करेगा व शाम को 8:25 से 9:15 तक साध्वी अपने प्रवचनों से लोगों को निहाल करेंगी। उन्होंने लोगों से अपील की कि ज्यादा से ज्यादा गिनती में आकर प्रवचन का लाभ उठाएं। आज के समागम में सुनाम, भीखी, बरेटा, पातड़ा, जाखल से श्रद्धालुओं ने साध्वी जी का आशीर्वाद लिया। जैन समाज के प्रतिनिधि कृष्ण जैन, मास्टर हरिराम, तरसेम चंद, मनमोहन जैन, अमृत जैन ने चाय पानी व लंगर की सेवा निभाई।