डॉक्टर दो घंटे हड़ताल पर रहे, मरीज करते रहे इंतजार
सरकारी अस्पताल में आईएमए के डॉक्टरों द्वारा 2 घंटे के लिए अपना काम बंद करके रोष प्रदर्शन किया।
जागरण संवाददाता, संगरूर : पश्चिम बंगाल में डॉक्टर हुए हमले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर देशव्यापी हड़ताल के तहत संगरूर में समूह सरकारी व प्राइवेट डॉक्टरों ने दो घंटे की हड़ताल करके सेहत सुविधाएं ठप रखी। सिविल अस्पताल में डाक्टरों ने धरना लगाकर डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कानून बनाने की मांग की तथा पश्चिम बंगाल में डाक्टर पर हमला करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों पर हमले के मसले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसके मद्देनजर सख्त सुरक्षा कानून बनाया जाना चाहिए तथा डॉक्टरों की सुरक्षा को यकीनी बनाएं। धरने उपरांत समूह डाक्टरों ने प्रशासनिक अधिकारी को मांग पत्र सौंपा।
धरने के दौरान जानकारी देते आईएमए संगठन के जिला प्रधान निरपाल सिंह, उपप्रधान डॉ. अमित सिगला ने बताया कि विगत दिनों पश्चिमी बंगाल में सरकारी मेडिकल कॉलेज में मरीज के वारिसों द्वारा एक नौजवान डॉक्टर की बुरी तरह मारपीट की गई। इस कारण उक्त डॉक्टर गंभीर घायल हो गया व उसे आईसीयू में भर्ती करवाना पड़ा, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। मरीज के वारिसों द्वारा डॉक्टर की इस मारपीट से खफा होकर नेशनल आईएमए के आह्वान पर संगरूर के डॉक्टरों ने अपना रोष जाहिर किया है। डॉ. अमित ने कहा कि कोई भी डॉक्टर मरीज को जानबूझ कर मारना नहीं चाहता, इसलिए मरीज की मौत का जिम्मेवार डॉक्टर को ठहराना गलत है। उन्होंने सरकार से मांग की कि डॉक्टरों की सुरक्षा संबंधी कानून पूरी तरह लागू किया जाए। इस मौके डॉ. किरपाल सिंह, डॉ. केजी सिगला, डॉ. इंद्रमोहनजोत सिंह, डॉ. रविदर कांसल, डॉ. धर्मपाल, डॉ. जगमोहन, डॉ. अमनदीप कौर, डॉ. संजीव जिदल, डॉ. प्रीत प्रकाश, डॉ. अमनदीप, डॉ. राहुल आदि उपस्थित थे।
दो घंटे हड़ताल से बेहाल हुए मरीज
सुबह 8 बजे से 10 बजे तक डाक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। सुबह सात बजे से ही मरीज अस्पताल में पहुंचे लगते हैं, ताकि डाक्टरों के बैठते ही पहले चैकअप करवाया जा सके, क्योंकि रोजाना एक डाक्टर को 100 के करीब मरीजों का चैकअप करना पड़ता है। जिला स्तरीय अस्पताल होने के कारण जिले भर से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, शुक्रवार को मरीजों का इलाज दो घंटे देरी से शुरू हुआ। मरीज डॉक्टरों के कमरे के बाहर बैठे डॉक्टर का इंतजार करते रहे, जबकि डॉक्टर दो घंटे हड़ताल पर रहे। इमरजेंसी सेवाएं रही चालू, बाकियों को करना पड़ा इंतजार
अस्पताल में सुबह ही मरीजों की भीड़ लग गई। ओपीडी की पर्चियां हाथ में लेकर एक दूसरे से पहले डाक्टर से चैकअप करवाने की खातिर मरीज कतार में लग गए, लेकिन घंटा भर इंतजार करने के बाद लोगों को डाक्टरों की हड़ताल का पता चला। गर्मी के मौसम में मरीज सुबह जल्दी चैकअप करवाना चाहते थे, लेकिन डाक्टरों ने ओपीडी दो घंटे देरी से शुरू की। इमरजेंसी सेवाएं रोजाना की भांति ही जारी रही, जिससे इमरजेंसी के मरीजों को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
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