फतेह को बोरवेल से कैसे निकाला की फुटेज हो जब्त, ऑपरेशन की करें उच्च स्तरीय जांच
संगरूर सुनाम के नजदीकी गांव भगवानपुरा में 140 फीट गहरे बोरवेल में गिरे फतेहवीर सिंह को 109 घंटे के लंबे रैस्क्यू आपरेशन के अंतिम समय दौरान कैसे बोरवेल के बीच से बाहर निकाला गया यह जानने के लिए लोग आज भी बेहद उत्सुक है। फतेहवीर सिंह के हाथों पर बंधी रस्सियों को खींचकर ही फतेहवीर को बाहर निकालने का दावा प्रशासन द्वारा जताया जा रहा है लेकिन ग्रामीण मांग उठा रहे है कि फतेहवीर को बोरवेल से बाहर निकालने की प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों में रिकार्ड हुई है। इस पूरी फुटेज लैपटाप इत्यादि को तुरंत कब्जे में लिए जाना चाहिए व इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए ताकि असल तस्वीर सामने आ सके।
जागरण संवाददाता, संगरूर
सुनाम के नजदीकी गांव भगवानपुरा में 140 फीट गहरे बोरवेल में गिरे फतेहवीर सिंह को 109 घंटे के लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के अंतिम समय के दौरान कैसे बोरवेल के बीच से बाहर निकाला गया, यह जानने के लिए लोग आज भी बेहद उत्सुक हैं। फतेहवीर सिंह के हाथों पर बंधी रस्सियों को खींचकर ही फतेहवीर को बाहर निकालने का दावा प्रशासन द्वारा जताया जा रहा है। उधर, ग्रामीण मांग उठा रहे हैं कि फतेहवीर को बोरवेल से बाहर निकालने की प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों में रिकार्ड हुई है। इसकी पूरी फुटेज, लैपटॉप आदि को तुरंत कब्जे में लेकर इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए, ताकि असल तस्वीर सामने आ सके। यह मांग वीरवार को फतेहवीर सिंह की अस्थियां शेरों श्मशानघाट से उठाने की रस्म के बाद फतेहवीर के रिश्तेदारों व ग्रामीणों ने उठाई है। साथ ही फतेहवीर सिंह संघर्ष कमेटी ने एलान किया है कि फतेहवीर सिंह की अंतिम अरदास के मौके पर किसी भी नेता या प्रशासनिक अधिकारी को वहां दाखिल होने नहीं दिया जाएगा।
फतेहवीर सिंह के चाचा पुष्पिंदर सिंह व चचेरा दादा नैब सिंह ने कहा कि पांच दिन और पांच रात से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन फतेहवीर सिंह को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम द्वारा चलाया जा रहा था। मगर, मंगलवार सुबह अचानक ही फतेहवीर सिंह जिस बोरवेल में गिरा था, उसमें से उसे निकाला गया, परंतु निकालने के बाद फतेहवीर का चेहरा तक परिवार को देखने का मौका नहीं दिया गया बल्कि कुछ ही पल में एंबुलेंस उसे पीजीआइ के लिए रवाना हो गई। इससे पहले जो पारिवारिक सदस्य मौके पर मौजूद थे, उन्हें अलग-अलग काम बताकर तितर-बितर कर दिया गया, ताकि किसी को फतेहवीर सिंह के निकाले जाने की भनक न लगे। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान प्रशासन की भूमिका गैरजिम्मेदाराना दिखाई दी। उन्हें शक है कि फतेहवीर सिंह पर बोरवेल के ऊपर से कुंडीनुमा औजार की मदद से अमानवीय तरीके से उसे खींचकर बाहर निकाला गया।
इनका कहना है कि मौके पर बोरवेल में कैमरे लगाए गए थे, जिसकी रिकार्डिग प्रशासन द्वारा लगाए गए लैपटॉप में ही हैं, इसलिए इन सभी फुटेज को तुरंत कब्जे में ली जानी चाहिए। साथ ही इस ऑपरेशन की उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच करवाई जाए, ताकि असलियत सामने आ सके।
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वोट मांगने आ सकते हैं कैप्टन व केजरीवाल, फतेह की जान बचाने नहीं आया कोई
फतेहवीर सिंह संघर्ष कमेटी के सदस्य मनप्रीत सिंह नमोल, सरपंच हरप्रीत सिंह, गग्गी सुनाम, सुरजीत सिंह, संदीप सिंह, अवतार सिंह, ग्रामीण गुरजंट सिंह, जसवीर सिंह भोला, विक्रम सिंह व दिलप्रीत सिंह ने आरोप लगाया कि फतेहवीर सिंह को बोरवेल से बाहर निकालने के लिए कुंडीनुमा औजार का इस्तेमाल किया गया है, जिसे लेकर उन्होंने शहर भर में रोष मार्च भी निकाला। उन्होंने रोष जताते हुए कहा कि लोकसभा चुनावों से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल, पंजाब से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह व अन्य नेता सड़कों पर वोट मांगने के लिए आ पहुंचे थे, लेकिन मासूम फतेहवीर सिंह की जान बचाने के लिए कोई नहीं पहुंचा बल्कि इस हादसे पर राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे। सांसद भगवंत मान पर रोष जताया कि चुनाव से पहले वह नाड़ को लगी आग बुझाने के लिए जुट गए थे, लेकिन अब फतेहवीर सिंह के लिए केंद्र से कोई मदद नहीं ला पाए। हलका विधायक अमन अरोड़ा तो पूरे घटनाक्रम के दौरान पहुंचे ही नहीं। कैप्टन अमरिदर सिंह अंतिम दिन तक कोई कदम नहीं उठा पाए। एनडीआरएफ की असफलता को देखते हुए तुरंत सख्त कदम उठाए जाने चाहिए थे, जिससे फतेहवीर सिंह की जान को बचाया जा सकता। उन्होंने एलान किया कि भविष्य में जब कोई राजनीतिक नेता गांव में वोट मांगने के लिए पहुंचेगा, तो उसका सख्ती से बहिष्कार किया जाएगा। साथ ही फतेहवीर सिंह की अंतिम अरदास के कार्यक्रम के दौरान कोई नेता सियासी रोटियां सेकने पहुंचा, तो उसे शिरकत नहीं करने देंगे।