18 दिन बाद भी मंडियों में नहीं हुई सरकारी खरीद
लहरागागा संगरूर बेशक राज्य सरकार द्वारा राज्य में 1 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरु करने व किसानों को अनाज मंडियों व खरीद केंद्रों में हर तरह की सुविधाएं देने फसल की खरीद व पेमेंट करने के दावे व वादे किए जा रहे हैं कितु हकीकत इसके विपरित है। 20 अप्रैल तक मार्केट कमेटी लहरागागा अधीन पड़ते 27 खरीद केंद्रों व मुख्य अनाज मंडी में किसी भी सरकारी खरीद एजेंसी द्वारा किसानों की फसल का एक भी दाना न खरीदना सरकार के दावों व वादों की पोल खोल रहा है कितु प्रशासन कुंभकर्णी नींद सो रहा है।
अमन सिगला, लहरागागा (संगरूर) : बेशक राज्य सरकार द्वारा राज्य में एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरु करने व किसानों को अनाज मंडियों व खरीद केंद्रों में हर तरह की सुविधाएं देने, फसल की खरीद पेमेंट करने के दावे व वादे किए जा रहे हैं, कितु हकीकत इसके विपरित है। 20 अप्रैल तक मार्केट कमेटी लहरागागा अधीन पड़ते 27 खरीद केंद्रों व मुख्य अनाज मंडी में किसी भी सरकारी खरीद एजेंसी द्वारा किसानों की फसल न खरीदना सरकार के दावों व वादों की पोल खोल रहा है, कितु प्रशासन कुंभकर्णी नींद सो रहा है। जिसके चलते किसान व आढ़ती के साथ-साथ मजदूर भी परेशान है। जब अनाज मंडी का दौरा किया गया तो देखा कि अनाज मंडी में गेहूं के अंबार लगे हुए हैं व किसान अपनी फसल के पास मायूस बैठे हैं। कोई भी इन किसानों की सार लेने वाला नहीं है। किसानों ने कहा कि वह पिछले 10 दिनों से गेहूं लेकर बैठे हैं।
कोई भी सरकारी अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया किसान विरोधी है, यदि समय पर सरकार गेहूं की खरीद कर लेती तो पिछले दिनों आई बरसात में भारी नुकसान न होता कितु सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा जानबूझ कर किसानों को परेशान किया जा रहा है। खरीद एजेंसियां व सरकार की गलत नीतियों के कारण मंडियों में पड़ी गेहूं बरसात के कारण गीली हो गई क्योंकि अनाज मंडी में फसल को बारिश से बचाने के मार्केट कमेटी, सरकारी खरीद एजेंसी, प्रशासन व सरकार द्वारा कोई प्रबंध नहीं किए गए थे, जिसके चलते बरसात में खराब हुई फसल की कथित जिम्मेवारी सरकार, प्रशासन, मार्केट कमेटी के विभिन्न सरकारी खरीद एजेंसियों की बनती है, क्योंकि एक अप्रैल के बाद अनाज मंडी में आई फसल खरीदने की जिम्मेवारी सरकार व खरीद एजेंसियों द्वारा किसानों को नमी की मात्रा अधिक होने का बहाना बनाकर परेशान किया जा रहा है। किसानों ने मांग की कि कि उनकी गेहूं की फसल की तुरंत खरीद की जाए, अन्यथा वह तीखा संघर्ष करने से गुरेज नहीं करेंगे, जिसकी जिम्मेवारी प्रशासन खरीद एजेंसियों व सरकार की होगी। खरीद करने संबंधी सरकारी एजेंसियों को कहा है: सचिव
उक्त मामले संबंधी जब मार्केट कमेटी के सचिव मनदीप सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अब तक किसी भी सरकारी खरीद एजेंसी द्वारा किसी भी खरीद केंद्र व लहरागागा की अनाज मंडी में कोई गेहूं खरीद नहीं की गई, क्योंकि गेहूं की फसल में नमी की मात्रा सरकारी हिदायतों से अधिक है। कोई भी सरकारी अधिकारी अधिक नमी वाली गेहूं की फसल खरीद करने को तैयार नहीं, इसके बावजूद उन्होंने विभिन्न सरकारी खरीद एजेंसियों को विभिन्न खरीद केंद्रों व लहरागागा की अनाज मंडी में गेहूं की खरीद करने संबंधी कह दिया है, ताकि किसानों को मंडियों में परेशान न होना पड़े। आढ़तियों द्वारा बारदाने की कमी संबंधी उन्होंने कहा कि बारदाने की कोई कमी नहीं, कितु यदि आढ़तियों को अब बारदाना दे देते हैं तो गीला गेहूं ही भर देते हैं, जिसका खामियाजा एजेंसियों को बाद में भुगतना पड़ता है। उन्होंने दावा किया कि मार्केट कमेटी द्वारा खरीद केंद्रों व अनाज मंडी में खरीद के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं फिर भी यदि किसी भी किसान या आढ़ती को कोई समस्या है तो वह जब चाहे उनके दफ्तर में आकर संपर्क कर सकते हैं। नमी की मात्रा में छूट दे सरकार: रबड़
फेडरेशन ऑफ आढ़तिया एसोसिएशन के प्रधान जीवन कुमार रबड़ ने कहा कि गेहूं की फसल में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण गेहूं की खरीद में परेशानी आ रही है। इसके बावजूद वह एजेंसियों को साथ लेकर खरीद शुरु करवा रहे हैं व जल्द ही सभी खरीद केंद्रों व अनाज मंडी में खरीद शुरु हो जाएगी। जिससे किसानों व आढ़तियों को कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी। उन्होंने किसानों को अपील की कि वह किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए सूखी गेहूं ही मंडियों में लेकर आएं। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार नमी में मात्रा में छूट प्रदान करें, ताकि खरीद आसानी से हो सके।