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आंखों में आंसू, हाथों में अस्थियां, दिल में गहरा दर्द

संगरूर 140 फीट गहरे बोरवेल में गिरने से मौत के मुंह में गए दो वर्षीय फतेहवीर सिंह की वीरवार सुबह ठ बजकर 20 मिनट पर गांव शेरों की शमशानघाट में से परिवार ने अस्थियां उठाई। आंखों में आंसु लेकर अपने हाथ में अपने जिगर के टुकड़े फतेहवीर की नाजूक अस्थियां उठा रहे पिता सुखविदर सिंह का कलेजा फटा जा रहा था। दादा रोही सिंह की तो हिम्मत ही नहीं हो पा रही थी कि वह अपने पोते की अस्थियों को हाथ लगा सके क्योंकि जिस फतेह का हाथ पकड़कर रोही सिंह ने उसे चलना सिखाया था आज उसके नाजुक हाथ राख में तबदील हो चुके थे। फूट-फूटकर रो रहा पिता सुखविदर व दादा रोही सिंह की इन चीखों ने शमशानघाट के भीतर खड़े सैकड़ों लोगों के हजूम की आंखों को भी नम कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 06:01 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 06:34 AM (IST)
आंखों में आंसू, हाथों में अस्थियां, दिल में गहरा दर्द
आंखों में आंसू, हाथों में अस्थियां, दिल में गहरा दर्द

जागरण संवाददाता, संगरूर

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140 फीट गहरे बोरवेल में गिरने से मौत के मुंह में गए दो वर्षीय फतेहवीर सिंह की अस्थियां वीरवार सुबह 8.20 बजे गांव शेरों के श्मशानघाट से परिवार ने उठाई। इस दौरान आंखों में आंसू लिए अपने हाथ में अपने जिगर के टुकड़े फतेहवीर की अस्थियां उठा रहे पिता सुखविदर सिंह का कलेजा फटा जा रहा था। दादा रोही सिंह की हिम्मत ही नहीं हो पा रही थी कि वह अपने पोते की अस्थियों को हाथ लगा सके, क्योंकि जिस फतेह का हाथ पकड़कर रोही सिंह ने उसे चलना सिखाया था, वह अब राख में तबदील था। इस दौरान फूट-फूटकर रो रहे पिता सुखविदर व दादा रोही सिंह को देख वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम थीं। ग्रंथी सिंह ने अस्थियां उठाने से पहले अरदास की और उसके बाद परिवार ने अस्थियां उठाने की रस्म अदा की। इसके बाद परिवार कीरतपुर साहिब के लिए अस्थियां प्रवाहित करने के लिए रवाना हुआ, जहां इन्हें प्रवाहित किया गया। फतेहवीर सिंह की आत्मिक शांति के लिए अंतिम अरदास व पाठ के भोग 20 जून को सुनाम की अनाज मंडी में डाले जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि छह जून को दो वर्षीय फतेहवीर सिंह शाम 4.30 बजे के करीब घर के सामने मौजूद 140 फीट गहरे बोरवेल में अचानक गिर गया था। तीन घंटे बाद ही फतेहवीर सिंह को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची थी। मगर, 109 घंटे यानी छह दिन लगातार चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी फतेहवीर सिंह को जिदा बोरवेल से बाहर निकालने में सफलता हाथ नहीं लगी। एनडीआरएफ जिला प्रशासन की निगरानी में लगातार प्रयास में जुटी रही थी, लेकिन जब फतेहवीर सिंह को 11 जून की सुबह 5.10 बजे बाहर निकाला गया, तो काफी देर हो चुकी थी।

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जहां जुटे हुए थे हजारों लोग, अब पसरा है सन्नाटा

छह जून को बोरवेल में फतेहवीर सिंह के गिरने के बाद सात जून सुबह से मंगलवार सुबह तक घटनास्थल पर जहां हजारों लोग उमड़े हुए थे। वहां आज वीरवार को सन्नाटा पसरा मिला। सुरक्षा के मद्देनजर ही घर के सामने मेन रोड पर चंद पुलिस मुलाजिम बैठे मिले, जबकि अस्थियां उठाने के दौरान श्मशानघाट के समीप कोई पुलिस मुलाजिम नहीं पहुंचा।

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राजनीतिक चेहरे भी रहे दूर, सगे-संबंधी व ग्रामीण ही पहुंचे

छह दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जहां एक के बाद एक राजनीतिक नेता फतेहवीर सिंह के परिवार से दुख व्यक्त करने के लिए पहुंच रहे थे। वहीं, आज वीरवार को अस्थियां उठाने के दौरान किसी बड़े राजनीतिक नेता ने शिरकत नहीं की। गौर हो कि फतेहवीर सिंह का परिवार गहरे गम के दौर से गुजर रहा है और ग्रामीण फतेहवीर सिंह के रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर जिला प्रशासन व सरकार की भूमिका पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।


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