किसानों ने हिद पेट्रोल पंप के सामने दिया रोष धरना
बरनाला गांव चीमा नजदीक हिद पेट्रोल पंप पर गत्ता फैक्ट्री मालिक खिलाफ तीन किसानों के साथ साढ़े 25 लाख रुपए की ठगी करने के रोष के तौर पर भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा के नेताओं ने रोष धरना देकर रोष प्रदर्शन किया। इस अवसर पर संगठन के जिला प्रधान दर्शन सिंह उग्गोके व प्रैस सचिव लखवीर सिंह दुल्लमसर ने बताया कि इस पंप के मालिक की तपा-ढिल्लवां रोड पर गत्ता फैक्ट्री है जिस में तूड़ी बेचने वाले तीन किसान जगतार सिंह ने साढ़े चार लाख राजा पंडित के 1
संवाद सहयोगी, भदौड़, बरनाला :
गांव चीमा के नजदीक हिद पेट्रोल पंप पर गत्ता फैक्ट्री के मालिक के खिलाफ तीन किसानों के साथ साढ़े 25 लाख रुपये की ठगी करने के रोष के तौर पर भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा के नेताओं ने रोष धरना दे प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर संगठन के जिला प्रधान दर्शन सिंह उग्गोके व प्रेस सचिव लखवीर सिंह दुल्लमसर ने बताया कि इस पंप के मालिक की तपा-ढिलवां रोड पर गत्ता फैक्ट्री है, जिस में तूड़ी बेचने वाले तीन किसान जगतार सिंह ने साढ़े चार लाख, राजा पंडित के 18 लाख व जगदेव सिंह ने तीन लाख रुपये लेने थे। उन्होंने बताया कि उक्त किसान 2012 से 2017 तक तूड़ी बेची, परन्तु फैक्ट्री मालिक द्वारा कुछ रुपये दिए जाते रहे व बाकी बाद में देने के लिए कह दिया जाता था। उन्होंने बताया कि यह फैक्ट्री विगत वर्ष दिसंबर में बेचने कारण फैक्ट्री मालिक पहला 31 मार्च तक रुपये देने का भरोसा दिया, परन्तु रुपये नहीं मिलने पर 17 अप्रैल को जब वह पंप पर बातचीत करने आए तो मालिक ने बुरी शब्दावली इस्तेमाल कर रुपये देने से इंकार कर दिया। इस अवसर पर दर्शन सिंह महिता, ब्लॉक प्रधान भोला सिंह, महासचिव कुलवंत सिंह, बंत सिंह, हरबंस सिंह, मिट्ठू सिंह, गुरनाम सिंह, सागर सिंह, जगरूप सिंह, बिक्कर सिंह, मेला सिंह, राम सिंह, गुरतेज सिंह ताजोके आदि किसान उपस्थित थे। रुपये किश्तों में दिए जाएंगे : चरणजीत
इस संबंध में फैक्ट्री मालिक चरनजीत सिंह ने कहा कि पंप पर धरना लगाना गलत है, क्योंकि पंप का इसके साथ कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि तूड़ी के रुपये हैं तो फैक्ट्री के आगे धरना दिया जाना था। उन्होंने कहा कि कारोबार में घाटा पड़ने के कारण फैक्ट्री नहीं बल्कि मशीनरी बेची है, जबकि किसानों ने दो दिन पहले पंप पर आकर धक्केशाही की। उन्होंने कहा कि रिहायशी मकान की नीलामी आने के कारण पहले वह अपने मकान के रुपये भरेंगे व साथ-साथ किसानों को किश्तों में जो बनते रुपये हैं वह देने के लिए तैयार हैं।