किसान धरने पर जमें, शहर वासियों की बढ़ी पेरशानी
संवाद सहयोगी संगरूर भारतीय किसान यूनियन उगराहां द्वारा किसानों पर पराली जलाने का विरोध कर रही।
संवाद सहयोगी, संगरूर :
भारती किसान यूनियन उगराहां ने किसानों पर पराली जलाने के मामले को लेकर लगाए गए जुर्माने के खिलाफ चल रहे पक्के धरने के दूसरे दिन यूनियन द्वारा शहर के मुख्य बाजारों में रोष प्रदर्शन निकाला गया। किसानों द्वारा जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के समक्ष लगाए धरने के कारण जहां ट्रैफिक बाधित हो रही है, वहीं आसपास बसे मोहल्ला निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। धरने में जिला प्रधान अमरीक सिंह गंढुआं ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों पर प्रशासन द्वारा मामले दर्ज किए गए हैं। बिना पराली को आग लगाए फसल बीजने वाले किसानों की फसल पर सैनिक सुंडी ने हमला कर दिया, जिससे किसानों का भारी नुकसान हुआ। उन्होंने पराली को संभालने का मुआवजा देने, किसानों पर किए गए जुर्माने रद, किसानों की जमीन को लाल लकीर में लाने के फैसले को रद, पकड़ी गई कंबाइनों को बिना शर्त छोड़ने, पराली न जलाने वाले किसानों के अधिकतम खर्चों का ऐलान किए गए 2500 रुपये प्रति एकड़ तुरंत अदा करने, 200 रुपये प्रति क्विंटल धान का बोनस देने, पंजाब सरकार द्वारा एलान की गई 2-2 लाख रुपये तक की कर्ज माफी की राहत पांच एकड़ के मालिक किसानों व गरीब किसानों को तुरंत देने की मांग की। उन्होंने बताया कि 16 फरवरी को मालेरकोटला में केंद्र सरकार द्वारा पारित काले कानून के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया जाएगा।
इस मौके पर दरबारा सिंह छाजला, रिछपाल सिंह धूरी, जगतार सिंह कालाझाड़, मनजीत सिंह घरांचों, धरमिदर पिसोर, बलजिदर सिंह हथन, हरबंस सिंह लड्डा सहित अन्य किसान उपस्थित थे। धरने के कारण शहर की आधी आबादी परेशान
जिला प्रबंधकीय परिसर के समक्ष दिन भर लगने वाले पक्के धरने के कारण आवाजाही बंद करके रखी जाती है, जिससे शहरी आधी आबादी परेशानी का दौर से गुजर रही है। धरने की वजह से वाहन चालकों को नगर कौंसिल से बस स्टेंड पहुंचने के लिए तकरीबन दो किलोमीटर अधिक का सफर तय करना पड़ रहा है। बच्चों की स्कूल बसें भी बस स्टैंड के पास ही रुक जाती है, जिससे अभिभावकों को भी बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। डीसी कार्यालय में रोजाना सैंकड़ों लोग किसी न किसी कार्य हेतु आते हैं, लेकिन धरने के कारण वह भी दफ्तरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं रोड पर मौजूद दुकानदारों का व्यापार भी ठप पड़ा हुआ है। कई बार धरनों के लिए जगह निर्धारित करने तथा आधी रोड पर को खाली रखने की मांग दुकानदार कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है।