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ब्रह्मचर्य का पालन न करना पाप के समान : अजित मुनि

संगरूर शारीरिक संबंधों से उपर उठना ब्रह्मचार्य कहलाता है। श्रावक को चौथे अनुव्रत ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। हम मोह इच्छा कामना-वासना में बंधे हुए हैं। हम चाहते हुए भी इन्हें छोड़ नहीं सकते। भगवान महावीर स्वामी ने ब्रह्मचार्य का पालन करने का आदेश दिया। भगवान ने तो ब्रह्मचार्य पालन न करना पाप के समान बताया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 04:05 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 05:54 PM (IST)
ब्रह्मचर्य का पालन न करना पाप के समान : अजित मुनि
ब्रह्मचर्य का पालन न करना पाप के समान : अजित मुनि

जागरण संवाददाता, संगरूर

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शारीरिक संबंधों से ऊपर उठना ब्रह्मचर्य कहलाता है। श्रावक को चौथे अनुव्रत ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। हम मोह इच्छा कामना-वासना में बंधे हुए हैं। हम चाहते हुए भी इन्हें छोड़ नहीं सकते। भगवान महावीर स्वामी ने ब्रह्मचार्य का पालन करने का आदेश दिया। भगवान ने तो ब्रह्मचर्य पालन न करना पाप के समान बताया है। यह बात वह जैन स्थानक मोहल्ला मैगजीन में विराजित जैन संत प्रवचन भास्कर अजित मुनि महाराज ने सभा को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि शारीरिक संबंधी बनाना पाप के श्रेणी में आता है। यह एक ऐसा पाप है जो सामने वाला रोकने की जगह वह भी उनके साथ लग जाता है। आज के इस युग में इसको कंट्रोल करना काफी मुश्किल है, क्योंकि नारी पुरुष का आकर्षण प्रबल है। भगवान महावीर ने परनारी से शारीरिक संबंध न रखने के लिए आज से ढाई हजार वर्ष पहले कह दिया था, लेकिन विज्ञान आज एड्स जैसे रोगों से बचने के लिए पराई स्त्री से शारीरिक संबंध न बनाने के लिए कहते हैं। मुनि ने कहा कि शादी के बाद पहले तीन दिन जो दंपति ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, उन्हें अपनी इंद्रियों पर काबू करना आ जाता है। जिससे वह अपने काम को वश में करने की कला सीख जाते हैं। ऐसे लोगों की संगति न करें जो आपको काम भोगों के लिए प्रेरित करें। श्रावक को छोटी आयु की लड़कियों से संबंध नहीं रखना चाहिए, रखैल नहीं रखनी चाहिए, सगाई वाली लड़का-लड़की शारीरिक संबंध न बनाएं, अप्राकृतिक मैथून न करें, काम भोगों की तिवर अभिलाषा न रखें, हर नारी को मां-बहन समझे, हम पुरूष को पिता-भाई समझे तथा दिन में ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करें क्योंकि वासना नर्क का द्वार है, इसलिए हमें श्रावक के 12 व्रतों में से चौथे व्रत की पालना कर अपने जीवन को सफल बनाएं। सभा के मंत्री सतभूषण जैन ने कहा कि आयमल की तपस्या में निशा जैन व उषा जैन 6वें दिन में प्रवेश कर चुके हैं तथा इकाशनों की लंबी तपस्या में जीवन जैन 111वें व अतुल गोयल 92 दिन में प्रवेश कर चुके हैं।


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