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पराली जलाने को लेकर प्रशासन सख्त, किसान कर रहे विरोध

--अपडेट--पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन रोक रहा, किसान कर रहे विरोध --अपडेट--पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन रोक रहा, किसान कर रहे विरोध --अपडेट--पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन रोक रहा, किसान कर रहे विरोध --अपडेट--पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन रोक रहा, किसान कर रहे विरोध

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 04:21 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 04:21 PM (IST)
पराली जलाने को लेकर प्रशासन सख्त, किसान कर रहे विरोध
पराली जलाने को लेकर प्रशासन सख्त, किसान कर रहे विरोध

संवाद सहयोगी, बरनाला :

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धान की पराली को लेकर नेशन ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट के तहत एनजीटी द्वारा प्रदेश सरकार को दी चेतावनी के बाद जिला प्रशासन द्वारा धारा 144 के तहत पराली न जलाने के लिए किसानों को सख्त चेतावनी दी गई है, परंतु किसान पराली न जलाने की जगह जिला प्रशासन का विरोध कर रहे हैं। किसानों ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पराली की संभाल के लिए पर्याप्त साधन मुहैया नहीं करवाए हैं, जिस कारण उन्हें मजबूरन पराली को जलाना ही पड़ेगा व इसके बिना उनके पास और कोई रास्ता नहीं है।

गौरतलब हो कि बेशक जिला प्रशासन द्वारा खेतीबाड़ी विभाग के जरिए पराली के प्रबंधन के लिए 20 एकड़ के हिसाब से एक यंत्र मुहैया करवाया गया है। जिसमें 160 हैप्पी सीडर, 160 पैडीचोपर, 55 जीरो ड्रिल, 10 आरएमबी रिवर्सिबल ब्लॉक मुहैया करवाने के साथ 250 कंबाइन एमएसएम मुहैया करवाई गई हैं। परंतु इन सबके बाद भी किसान पराली जलाने की मजबूरी दिखा रहे हैं।

गौर हो कि जिला बरनाला में एक लाख 20 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक एक एकड़ में करीब 70 क्विटंल पराली निकलती है। ऐसे में जिले में पराली जलाई गई तो बरनाला में 20 लाख टन पराली जलेगी। जिससे प्रदूषण फैलने से चारों ओर धुआं ही धुआं फैल जाएगा व लोगों में खांसी, जुकाम, आंखों में जलन जैसी बीमारियां फैलने से हाहाकार मच जाएगी।

इस बारे मे भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के जिला प्रधान दर्शन ¨सह उगोके ने कहा कि उनके द्वारा यूनियन के सहयोग से संगठन तैयार कर लिया है, जो किसानों की पराली को खुद जलाएंगे व अगर किसानों को जिला प्रशासन द्वारा परेशान किया गया तो उनका घेराव किया जाएगा।

यूनियन के प्रेस सचिव लखबीर ¨सह ने कहा कि पराली जलाने को लेकर किसान मजबूर हैं, अगर जिला प्रशासन द्वारा उनके ऊपर किसी प्रकार का केस दर्ज किया गया तो यूनियन द्वारा उनका कड़ा विरोध किया जाएगा। ऐसे में माहौल खराब होने का जिम्मेवार जिला प्रशासन खुद होगा। गौर हो कि विगत वर्ष पराली जलाने को लेकर धारा 144 के तहत 20 किसानों को चालान जुर्माना किया जा चुका है।

डीसी धर्मपाल गुप्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार के दिशा निर्देश अनुसार ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट के तहत धारा 144 लगाई गई है, अगर कोई भी किसान पराली जलाता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

थाना शैहना के प्रभारी मनकीत ¨सह ने कहा कि अगर कोई भी किसान आसपास के क्षेत्र में पराली जलाता पाया गया तो उसके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जाएगी।

इस अवसर पर किसान बाघ ¨सह ने कहा कि पराली जलाने से हर वर्ष जमीन में इधर-उधर घूम रहे सैंकड़ों मित्र कीड़े मार दिए जाते हैं, जो उपजाऊ जमीन बनाए रखने में सहायता करते हैं। ऐसे में जहां जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होती है वही मित्र कीड़े मौत का शिकार हो जाते हैं, जो अधर्म है। इसलिए किसान को चेतावनी के बिना ही किसानों को पराली नहीं जलानी चाहिए।


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