धर्म से विहीन मानव पशु समान : साध्वी भारती
आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सर्व भारती ने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र कार्य में धर्म को सन्मुख रखकर चलने वाला मानव जीवन में सदैव उन्नति को प्राप्त करता है।
जागरण संवाददाता, संगरूर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा सुनाम स्थित आश्रम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सर्व भारती ने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र, कार्य में धर्म को सन्मुख रखकर चलने वाला मानव जीवन में सदैव उन्नति को प्राप्त करता है। महापुरुषों का कथन है कि धर्म से विहीन मानव पशु के समान है। अकसर मानव का यह विचार होता है कि सांसारिक कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वाह करें और जिम्मेदारियों को ठीक ढंग से निभाएं, यही धर्म है हमें किसी धर्म के निर्वाह की कोई आवश्यकता नहीं। वास्तव में एक मानव के भीतर यह प्रश्न तब उत्पन्न होता है जब वह धर्म के वास्तविक मर्म से अपरिचित होता है। आज समाज की कुछ अंध परंपराओं, रूढ़ीवादी सिद्धातों व मान्यताओं को धर्म का नाम दे दिया जाता है, लेकिन वास्तव में धर्म से तात्पर्य सृष्टि के सम्राट ब्रह्मभाव ईश्वर का घट में प्रत्यक्ष दर्शन कर लेना है, जब एक मानव उस एक परम सता से जुड़ जाता है तो उसके घट में एक ऐसी विवेक शक्ति उत्पन्न होती है। जिसके आधार पर वह अपने सांसारिक कर्तव्यों का निर्वाह ठीक ढंग से करने लायक बन पाता है। यदि हम सोचते हैं कि विवेक के बिना हम सांसारिक कर्तव्यों का ठीक ढंग से निर्वाह कर पाएंगे तो यह सर्वदा हमारी बहुत बड़ी भूल है। धर्म ही हमारा सिद्धांत है कि एक मानव का परिवार के प्रति क्या फर्ज है, देश के लिए क्या कर्तव्य है, समाज के उत्थान व विकास में उसकी क्या भूमिका है। धर्म ही तो निजी स्वार्थ से उठकर दूसरों के लिए बलिदान तक दे देना सिखाता है। जैसा बलिदान संत अरबिन्दू, विवेकानंद, जैसे महानपुरुषों ने दिया। इसलिए हमें भी एक पूर्ण गुरु की शरण को प्राप्त करना चाहिए, जो हमारी दिव्य ²ष्टि को खोलकर भीतर में प्रभु की ज्योति का दीदार करवाए।