प्रशासन का प्रयास लक्ष्य से मिलों दूर, मच्छरों से रहें सावधान
सेहत विभाग ने डेंगू के डंक से लोगों को बचाने के लिए डोर टू डोर मुहिम का आगाज तो कर दिया है।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
सेहत विभाग ने डेंगू के डंक से लोगों को बचाने के लिए डोर-टू-डोर मुहिम का आगाज तो कर दिया है, लेकिन पूरे जिले को कवर करना आसन नहीं है, क्योंकि जिले भर में तीन लाख से अधिक घर मौजूद हैं। अभी तक विभाग की टीमें 13600 घरों को ही कवर कर पाई हैं। बारिश किसी भी वक्त दस्तक दे सकती है, जिसके बाद डेंगू ही नहीं, बल्कि अन्य मच्छरों से वायरल का भी लोगों को शिकार होना पड़ सकता है। साथ ही नगर कौंसिल भी सुस्त दिखाई दे रही है, क्योंकि नगर कौंसिलों के पास सभी मोहल्लों को कवर करने के लिए फोगिग मशीनें भी पर्याप्त नहीं हैं। इक्का-दुक्का मशीनों के माध्यम से फोगिग का कार्य किया जाता है। ऐसे में लोगों को खुद ही अपने बचाव के लिए प्रयास करना होगा, अन्यथा डेंगू के डंक से बच पाना आसान नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष संगरूर जिले में डेंगू से पीड़ित मरीजों की गिनती बेहद अधिक थी, जिस कारण पंजाब भर में डेंगू से पीड़ित मरीजों के आंकड़ें के अनुसार संगरूर दूसरे स्थान पर रहा। इस बार लोगों को डेंगू से बचाने के लिए सेहत विभाग ने समय से पहले ही जागरूकता अभियान व डेंगू के लारवा की तलाश के लिए 42 टीमों का गठन किया गया है। यह टीमें 24 जून से लगातार हर इलाके का दौरा कर रही है। घर-घर जाकर लोगों को अपने आसपास पानी जमा न होने देने सहित अपने घरों के कूलर, पानी की टंकी, गमले, खाली टायरों सहित अन्य जगहों की साफ-सफाई पर पूरा ध्यान रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अब तक विभाग की यह टीमें 13650 से अधिक घरों का दौरा कर चुके हैं, जहां से 76 जगहों पर डेंगू का लारवा भी विभाग को मिला है। इस लारवा को तुरंत नष्ट करवाया गया तथा साथ ही लोगों को चेतावनी दी गई है कि वह सावधानी बरतें, ताकि उनके सहित आसपास के लोग डेंगू की चपेट में आने से बच सकें। अभी तक 13 हजार से अधिक घरों तक ही टीमें पहुंच पाई हैं, जबकि जिले में साढ़े तीन लाख के करीब मकान, सरकारी प्राइवेट संस्थान, दफ्तर, अस्पताल व अन्य इमारतें हैं, जहां पर पानी जमा होने का खतरा बना हुआ है। विभाग के लिए हर जगह तक पहुंच करना आसान नहीं है, जिसके लिए लोगों को भी सहयोग देने की सख्त जरूरत हैं। नगर कौंसिलों की कुंभकर्णी नींद बरकरार
डेंगू जहां जमा पानी में पनपने लगे हैं, वहीं नगर कौंसिलों की कुंभकर्णी नींद अभी भी बरकरार हैं। नगर कौंसिलों के पास पर्याप्त फोगिग मशीनें न होने के कारण शहरों की हजारों घरों की आबादी के लिए केवल इक्का-दुक्का मशीनों से ही काम चलाया जाता है। उनमें से भी अधिकतर फोगिग मशीनों के माध्यम से फोगिग अधिकारियों के घरों में ही की जाती है, जबकि स्लम बस्तियों में फोगिग बेहद कम होती है, जिस कारण अधिकतर लोग इन बस्तियों के ही डेंगू की चपेट में आते हैं। संगरूर नगर कौंसिल की बात करें तो संगरूर कौंसिल के पास दो ही फोगिग मशीनें मौजूद है, जबकि संगरूर शहर के 27 वार्ड मौजूद हैं, जिनमें रोजाना फोगिग करने की बजाए, सप्ताह भर में एक-दो बार ही फोगिग हो पाती है। अपने स्तर पर युवा करें हैं स्लम बस्तियों में फोगिग
शहर की स्लम बस्तियों में पर्याप्त फोगिग न होने के कारण शहर के युवाओं ने अपने स्तर पर गत वर्ष फोगिग करवाने का जिम्मा उठाया था। यूथ पावर ग्रुप के प्रतिनिधि विक्रम सिंह का कहना है कि फोगिग मशीन खरीदी गई है, जिसकी मदद से बस्तियों में फोगिग की जाती है। रविवार से फोगिग का कार्य आरंभ कर दिया जाएगा, ताकि बस्तियों में लोगों को डेंगू के मच्छर से बचाने व मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।