कंडम व जुगाडू वाहनों पर नहीं लग पा रही सरकार की लगाम
ट्रैफिक पुलिस का राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह आरंभ हो गया है।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
ट्रैफिक पुलिस का राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह आरंभ हो गया है। 17 फरवरी तक चलने वाले सड़क सुरक्षा माह के दौरान ट्रैफिक चालकों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने का पाठ पढ़ाया जाएगा, किंतु शहर की सड़कों पर सरपट दौड़ रहे कंडम वाहन, असुरक्षित स्कूली वाहनों पर अंकुश लगाने की अभी कोई योजना नहीं है। जुगाडू व कंडम वाहनों की सड़कों पर भरमार है, जिस कारण हर दिन सड़क हादसे भी होते रहते हैं, लेकिन इन वाहनों पर कार्रवाई ट्रैफिक पुलिस परिवहन विभाग पर जिम्मेदारी डाल देता है व परिवहन विभाग ट्रैफिक पुलिस को जिम्मेदार ठहराता है। बहरहाल इन कंडम व जुगाडू वाहनों के कारण होने वाले हादसों की भेंट आम लोग चढ़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि साधारण इंजन पर लकड़ी की बाडी लगाकर बनाए गए पीटर रेहड़े सड़कों पर घूमते आम दिखाई देते है। इन्हें माल की लोडिग-अनलोडिग के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। बेशक परिवहन विभाग इन पर कार्रवाई करने के दावे हर दिन करता है, लेकिन इसके बावजूद इन पर लगाम लगती दिखाई नहीं दे रही है। शहर की सड़कों पर पीटर रेहड़ों का घूमना आम दिखाई देता है। यहीं नहीं कंडम हो चुके वाहनों को भी बिना रोकटोक चलाया जा रहा है। गत वर्ष फरवरी में कबाड़ से खरीदी मारुति वैन को स्कूली वाहन के तौर पर इस्तेमाल किया जाने का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा। आग लगने से चार बच्चे जिंदा जल गए थे। जबकि चार बच्चों को कड़ी मशक्कत के बाद वैन से बाहर निकाला गया था। इस हादसे के बाद भी प्रशासन ने सबक नहीं ली।
जानलेवा हैं बिना रिफ्लेक्टर व बैक लाइटों की ट्रालियां
ईटों की ढुलाई व धान की फूंस से भरी ओवरलोडिग ट्रैक्टर-ट्रालियां शहर बेरोकटोक दौड़ती रहती हैं। इन ट्रालियों के पीछे न तो रिफ्लेक्टर लगे हुए हैं तथा न ही बैक लाइटें हैं। धुंध व रात के समय इन ट्रैक्टर-ट्रालियों के सड़क किनारे खड़े रहने या सड़क पर चलते समय दिखाई न देने से अक्सर अन्य वाहन हादसों का शिकार होते हैं। फोकल प्वाइंट रोड संगरूर, धूरी रोड, भसौड़ रोड पर ऐसे ट्रैक्टर-ट्रालियों का हजूम आम दिखाई देता है।
असुरक्षित स्कूली वाहनों पर नहीं लगी लगाम
कंडम स्कूल वैन में चार बच्चों की जिदा जलने से हुई दर्दनाक मौत के बाद भी प्रशासन ने सबक नहीं लिया। इलाके के स्कूलों में अभी भी छोटे टेंपू, वैन, आटो रिक्शा को विद्यार्थियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हैं, जबकि यह वाहन स्कूली वाहन की शर्तों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। इन वाहनों में जहां छोटी आयु के बच्चों को घरों तक छोड़ने व स्कूल लाने के लिए भारी गिनती में बैठाया जाता है, वहीं इनमें आगजनी से बचाव, सुरक्षा इमरजेंसी खिड़की का भी प्रबंध नहीं होता है। लोंगोवाल हादसे के बाद बेशक परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस ने स्कूली वाहनों प्रति कार्रवाई अभियान आरंभ किया था, लेकिन इसके बाद फिर अभियान ठंडा पड़ गया है। डीसी या एसडीएम की अगुआई में बने स्पेशल टीम
पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि वकील मनप्रीत सिंह नमोल ने मांग उठाई कि असुरक्षित स्कूली वाहनों पर नकेल कसने के लिए डीसी या एसडीएम की अगुआई में स्पेशल टीम का गठन करके चेकिग करवाई जाए। परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस को नुमाइंदों को टीम में शामिल किया जाए व यह टीम डीसी को रिपोर्ट करें। वाहनों की गंभीरता से जांच करें व बच्चों की सुरक्षा का स्कूली वाहन में पुख्ता प्रबंध करवाया जाए। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह दौरान इस पर विशेष कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि सड़कें वाहन चालकों व लोगों के लिए असल में सुरक्षित बन सकें।
लगातार जारी चेकिग अभियान, नहीं होगी कोई ढील
आरटीए संगरूर करणवीर सिंह छीन्ना ने इस संबंधी बताया कि राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह दौरान परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस मिलकर ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है। स्कूली वाहनों, कंडम व जुगाडू वाहनों पर भी पूरी तरह से गंभीरता से काम किया जा रहा हैं। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों के चालान काटने व जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है। इस अभियान को और तेज किया जाएगा, ताकि हर किसी की जिदगी को सुरक्षित रखा जा सके।