साइक्लिस्ट बलजीत कौर, 18 वर्ष की आयू में जीते चार गोल्ड
सुखदेव सिंह पवार संगरूर एक तरफ हमारे समाज में कुछ रूढि़बादी को पीछे छोड रही हैँ।
सुखदेव सिंह पवार, संगरूर : एक तरफ हमारे समाज में कुछ रूढि़बादी सोच के मालिक अभी भी लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को अधिक महत्व देते हैं। दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसी लड़कियां हैं जो अपनी मेहनत व लगन से लड़कों को पीछे छोड़ती जा रही हैं। ऐसा ही एक उदाहरण करतारपुरा बस्ती में रहने वाली साइक्लिस्ट बलजीत कौर हैं। बलजीत गरीबी का सामना करते हुए मात्र 16 वर्ष की उम्र में दसवीं कक्षा में शुरू की व 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से साइकिल चलाते हुए दो वर्ष में ही चार स्वर्ण, दो रजत सहित 11 मेडल हासिल किए। मुकाबलों में एक लाख से अधिक कीमत की साइकिलों द्वारा रेस में भाग लेने वाले प्रतिभागियों से मांगी हुई साइकिल से पछाड़ने वाली बलजीत कौर अपनी मेहनत से पुलिस में उच्च अधिकारी बनना चाहती है।
भारत की इस बेटी की आर्थिक दशा तो इतनी दयनीय है कि पिता ने कर्ज से परेशान आकर 2016 में आत्महत्या कर ली व माता घरों में झाड़ू पोछा लगा कर अपने दो बच्चों का पेट पाल रही है। स्कूल सहित आज तक किसी ने किसी तरह की कोई मदद नहीं की। हां 2019 में हुई खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद जालंधर के डीसी ने उसको 70 हजार की साइकिल खुश होकर खरीद कर दिए थे। किराए के मकान में रहने वाली इस बेटी ने दैनिक जागरण को भावुक होते हुए बताया कि उसकी गरीब मां उसे डाइट देने में असमर्थ है मगर फिर भी रूखी-सुखी खाकर ही गेम को चालू रखे हुए लगातार अभ्यास करने जाती हैं। अगर सरकारों की कारगुजारी की बात करें तो देश में ऐसे पता नहीं कितने होनहार छात्र व खिलाड़ी गरीबी व लाचारी का जीवन जीने के लिए विवश हैं।
साइक्लिस्ट बलजीत कौर ने दैनिक जागरण को बताया कि उसने दसवीं कक्षा में साइकिलिंग शुरू की थी। स्कूल में उसको यही गेम मिली। उसको साइकिल चलाने के शौक भी था इसलिए उसने साइकिल को भगाने का निर्णय लिया। उसके पिता तितरो सिंह ने कर्ज व गरीबी से परेशान होकर 2016 में आत्महत्या कर ली थी। पिता की हत्या के बाद माता परमजीत कौर ने उसके व बड़े भाई गुरप्रीत जो भी बारहवीं का छात्र है। दसवीं कक्षा में पहली बार पटियाला में स्कूल गेम में भाग लिया व रोड इवेंट में एक स्वर्ण, ट्रेक इवेंट में ब्राउन मैडल जीता। इसके बाद ग्यारवहीं कक्षा 2018 में हुई स्कूली गेम में रोड इवेंट में एक स्वर्ण, ट्रैक इवेंट में दो सिलवर व एक ब्राउन पदक हासिल किए। 2019 में लुधियाना में हुए मुकाबलों में जब उसने दो स्वर्ण व एक ब्राउन पदक जीता। वह सुबह 4:30 बजे बाया रोड बरनाला से जाकर सात बजे घर वापिस आ जाती है। बलजीत पढ़ाई में भी अच्छी छात्रा है,उसने बारहवीं के नतीजों में 84.6 अंक हासिल किए थे। बलजीत ने बताया कि उसको उसका मौसेरा भाई गुरबख्श सिंह व उसकी माता उसे अक्सर प्रोत्साहित करते रहते हैं। उसने अपनी गेम सहित एथलेटिक में कुल 15 मेडल हासिल किए हैं। इसके अलावा वह नेशनल खेलों में भी भाग ले चुकीं हैं मगर अच्छा साइकिल न होने के कारण कोई पदक नहीं जीत पाई।