एक दशक बाद दो पूर्व डीजीपी की पत्नियां आमने-सामने
मालेरकोटला की सियासत में एक बार फिर दो पूर्व डीजीपी की पत्नियां चुनावी अखाड़े में आमने-सामने हैं जिससे मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।
सचिन धनजस, संगरूर
मालेरकोटला की सियासत में एक बार फिर दो पूर्व डीजीपी की पत्नियां चुनावी अखाड़े में आमने-सामने हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। हालांकि, इस बार 2012 में अकाली दल से विजयी हुई फरजाना आलम पंजाब लोक कांग्रेस के बैनर तले चुनावी अखाड़े में कूदी हैं, जबकि अकाली दल ने नुसरत इकराम खां को अपना उम्मीदवार बनाया है। मसलन, दो पूर्व डीजीपी की पत्नियों के दोबारा चुनावी मैदान में कूदने से मालेरकोटला की सियासत में काफी बदलाव देखने को मिला है। रजिया सुल्ताना के पति अब रिटायर्ड हो चुके हैं, जिस लिहाज से अब मालेरकोटला की राजनीतिक हवा भी बदली-बदली सी नजर आने लगी है।
अकाली दल की तरफ से 2012 में अब्दुल गफ्फार की टिकट काटकर फरजाना आलम को टिकट दी गई थी, जिसके पति तब पूर्व डीजीपी मोहम्मद इजहार आमल थे, जबकि उनके मुकाबले कांग्रेस की उम्मीदवार रजिया सुल्ताना के पति डीजीपी थे। तब फरजाना आलम ने रजिया को 5200 मतों से शिकस्त दी थी। फरजाना आलम को 2012 में 56618 मत मिले थे, जबकि रजिया सुल्ताना को 51418 मत हासिल हुए थे। 2017 में फरजाना आलम ने रजिया के लगातार तीसरी जीत पर रोक लगाई थी। 2017 में अकाली दल ने फरजाना आलम की टिकट काटकर मोहम्मद उव्वैस को दे दी थी, जो रजिया से 12702 मतों से पटकनी खा गए थे।
अब पूरे एक दशक बाद फिर से दो पूर्व डीजीपी की पत्नियां एक-दूसरे को मुकाबला देने के लिए चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं, जिससे राजनीतिक फिजाएं बदली-बदली नजर आने लगी हैं। रजिया सुल्ताना मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री रही हैं, जबकि फरजाना आलम पूर्व 2012 की अकाली सरकार में मुख्य संसदीय सचिव के साथ साथ वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन की जिम्मेवारी निभा चुकी हैं।