बहादुरी को सलाम: दो युवकों ने अपनी पगडिय़ां खोलकर नहर में डूब रही बुजुर्ग महिला की जान बचाई
पंजाब के रुपनगर के घनौली में दाे सिख युवकों ने अपनी पगडियां खोलकर भाखड़ा नहर में डूब रही एक महिला की जान बचाई।
घनौली (रूपनगर), जेएनएन। पगड़ी सिखों की पहचान है। घर के बाहर पगड़ी को उतारना मर्यादा के खिलाफ माना जाता है। लेकिन, जब बात किसी की जान बचाने की आती है तो सिख अपनी पगड़ी की असली पहचान और इसकी शान बताकर मिसाल पेश करते हैं। ऐसी ही मिसाल घनौली के गांव मलिकपुर से होकर गुजरने वाली भाखड़ा नहर के पास देखने को मिली। दो सिख युवकों ने नहर में बहती जा रही एक बुजुर्ग महिला को अपनी पगडि़यां उतार कर उसके सहारे बचाया।
बुजुर्ग महिला भाखड़ा नहर में बहती हुई आ रही थी और जान बचाने के लिए हाथ पैर मारते हुए चिल्ला रही थी। इसी दौरान गांव लाडल का जसविंदर सिंह और गांव बैरमपुर का जगतार सिंह अपने बाइक पर नहर के साथ से गुजरने वाली पटरी से नालागढ़ के लिए जा रहे थे। बुजुर्ग महिला को देख दोनों रुक गए और उसे बचाने के लिए अपनी पगडिय़ां उतार दीं। दोनों पगडिय़ों को जोड़कर एक कोना नहर में फेंक दिया।
बुजुर्ग पगड़ी को नहीं पकड़ पाई तो जसविंदर और जगतार भागकर नहर के अगले हिस्से में पहुंचे। एक दस्तार को पेट से बांधकर नहर में उतरा और दूसरा बाहर खड़ा होकर पगड़ी का दूसरा हिस्सा संभाले खड़ा रहा। बहती महिला को युवक नहर के किनारे पर ले आया लेकिन उसे नहर की ढलान से ऊपर नहीं ला पाया। इसी बीच दूसरा युवक भी नहर की ढलान में उतर आया और दोनों ने काफी देर महिला को पकड़े रखा।
बाद में वहां से गुजरने वाले लोगों से सहायता मांगकर युवक बुजुर्ग महिला को नहर से बाहर निकाल लाए। जसविंदर और जगतार दोनों नालागढ़ में दुकान करते हैं। रोज इकट्ठे की एक बाइक पर सुबह करीब आठ बजे नहर के पास से गुजरते हैं। बुजुर्ग महिला के लिए दोनों सोमवार को फरिश्ता बनकर आए।
परिवार के लोग भी पहुंच गए तलाश करते-करते
नहर से बाहर निकालने के बाद वहां मौजूद लोगों ने उससे उसका नाम और घर का पता करने की काफी कोशिश की लेकिन बुजुर्ग कुछ बता नहीं पाई। इसी बीच वहां उसके परिजन भी पहुंच गए। बुजुर्ग के कुछ देर बाद सामान्य होने पर परिवार के लोग उसे अपने साथ ले गए।
युवकों की बहादुरी की हो रही प्रशंसा
एक घंटे से अधिक समय तक हुए इस घटनाक्रम के बाद लोग दोनों युवकों की बहादुरी की प्रशंसा कर रहे हैं। प्रशासन से स्थानीय लोग मांग करने लगे हैं कि युवकों को बहादुरी अवार्ड से सम्मानित किया जाए।