ट्रैफिक पुलिस की नफरी 25, कैसे कंट्रोल होगा यातायात
ट्रैफिक पुलिस की सबसे अहम जिम्मेदारी यातायात को कंट्रोल करने की है पर इस काम में जुटे पंजाब पुलिस के विग में पर्याप्त संसाधन का अभाव है।
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर: ट्रैफिक पुलिस की सबसे अहम जिम्मेदारी यातायात को कंट्रोल करने की है, पर इस काम में जुटे पंजाब पुलिस के विग में पर्याप्त संसाधन का अभाव है। ट्रैफिक जागरूकता से लेकर ट्रैफिक नियमों के पालन तक का काम संभालने वाले कर्मचारी नाममात्र हैं। जो हैं, वो इतना काम संभाल पा रहे हैं या नहीं, इसका भी पता नहीं । बारिश हो या तूफान, इनकी ड्यूटी पक्की है।
ट्रैफिक पुलिस कुछ हफ्ते पहले तक 15 के आसपास कर्मचारियों के जिम्मे थी। हाल ही में ट्रैफिक इंचार्ज को जिला पुलिस ने आठ होमगार्ड जवान ट्रैफिक के काम के लिए दिए हैं। इसके अलावा दो और कर्मचारी ट्रैफिक पुलिस को मिले हैं। लगभग 25 कर्मचारी इस समय ट्रैफिक की ड्यूटी देख रहे हैं। ऐसे में वीवीआइपी ड्यूटियां और बाकी तामझाम अलग हैं। हैरानी की बात ये है कि जिले में कुराली के निकट भागोवाल से जिला रूपनगर शुरू होता है और नंगल में जाकर समाप्त होता है। यह रास्ता ही 80 किलोमीटर बनता है। बाकी नूरपुरबेदी, मोरिडा, चमकौर साहिब आदि इलाके अलग हैं। कुछेक भ्रष्टाचार के अपवाद छोड़ दें, तो ट्रैफिक पुलिस कम नफरी में भी बेहतर काम कर रही है। इसके अलावा स्पीडोमीटर यंत्र वाली गाड़ी पंजाब में एक ही है। जिले में एक साल में इसे कुछ दिन के लिए भेजा जाता है। इस बार भी यह गाड़ी रूपनगर में आई हुई है। नेशनल हाईवे पर यह गाड़ी 100 तेज रफ्तार वाहन चालकों के चालान काट चुकी है। वहीं राजधानी चंडीगढ़ से मात्र 40 किलोमीटर दूर रूपनगर जिले में मात्र तीन एल्कोमीटर होना बड़ी विडंबना है। आबादी सात लाख के करीब है और तीन एल्कोमीटर से ट्रैफिक पुलिस क्या जांच कर सकती है, अंदाजा लगाया जा सकता है। एल्कोमीटर का इस्तेमाल शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले चालकों की पहचान के लिए होता है। अहम बात ये है कि जिले में आनंदपुर साहिब में तख्त केसगढ़ साहिब समेत विरासत ए खालसा, नूरपुरबेदी में पीर बाबा जिदा शहीद स्थान, कीरतपुर साहिब में गुरुद्वारा पातालपुरी साहिब, दरगाह बाबा बुढण शाह और बाबा गुरदित्ता जी स्थान और रूपनगर में एतिहासिक गुरुद्वारा श्री भट्ठा साहिब समेत नंगल में पर्यटन के लिहाज से पर्टयकों व संगतों का आगमन बहुत रहता है। 1.20 करोड़ से बने ड्राइविग टेस्ट सेंटर में बैठने की सुविधा नहीं साल 2016 के अप्रैल में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मदन मोहन मित्तल ने ड्राइविग टेस्ट सेंटर का उद्घाटन किया था। 1 करोड़ 20 लाख की लागत से बने सेंटर में काम को आने वाले लोगों के लिए कोई सुविधा नहीं है। न तो टेस्ट देने वाले लोगों के बैठने की जगह है और न ही कोई अदद कैंटीन वहां मुहैया करवाई गई है। नंगल और नूरपुरबेदी आदि के दूर के गांवों से टेस्ट देने आने वाले लोगों को कई बार दोपहर बाद तक रुकना पड़ता है। धूप और बारिश में सिर छिपाने तक का प्रबंध नहीं है। लोग पौधों की छांव में जमीन पर बैठक समय व्यतीत करते हैं। और तो और यहां बिजली जाने पर जनरेटर तक नहीं चलाया जाता।
एसएसपी डा.अखिल चौधरी ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू करने को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने हाल ही में होमगार्ड के जवान उन्हें दिए हैं, जिससे कि ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर किया जा सके। ट्रैफिक एजूकेशन सेल अलग से काम कर रहा है। ट्रैफिक पुलिस पूरी तरह से अपनी ड्यूटी को समर्पित है।
सरबजीत सिंह, जिला ट्रैफिक इंचार्ज