Move to Jagran APP

शहरनामा

इधर जिले में फूल वाली राष्ट्रीय पार्टी में इस समय अजीब माहौल है। कोई उदास है तो कहीं बाछे खिल गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 10:18 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 10:18 PM (IST)
शहरनामा
शहरनामा

मन में तूफान दबाए.. इधर, जिले में फूल वाली राष्ट्रीय पार्टी में इस समय अजीब माहौल है। कोई उदास है तो कहीं बाछे खिल गई हैं। हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय पार्टी की पंजाब इकाई के कमाडर के ऐलान की। कमाडर पार्टी के वरिष्ठ नेता जिन्हें इलाके में वर्कर बाऊ जी कहकर पुकारते हैं, के खासमखास हैं। इसलिए जिले में पार्टी में हलचल मची हुई है। समझा जा रहा है कि बाऊ जी की जिले के साथ- साथ अब पंजाब में दोबारा तूती बोलने लगेगी। पार्टी का एक गुट जो ये सोच बैठा था कि अब पूर्व कैबिनेट मंत्री की नहीं चलेगी, उनके लिए बड़ी विकट स्थिति पैदा हो गई है। अभी यह वर्ग अपनी अंदर मचे तूफान को दबाए हुए कह रहा है कि कमाडर की अगुआई में यही नेतृत्व पार्टी को मजबूत स्थिति में लाएगा, लेकिन उन्हें भी पता है कि अब जो कुछ भी होगा, उनके पक्ष में तो नहीं होगा। कमल के फूल की तरह खिले चेहरे बाऊ जी के भक्तों का हौसला बुलंद हो गया। उनके चेहरे कमल के फूल की तरह खिल गए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बाऊ जी की टिकट एज फैक्टर के दायरे में आकर अटक गई थी और बाऊ जी तब अपने बेटे को टिकट दिलाने में भी कामयाब नहीं हो पाए थे। उसके बाद पार्टी की बागडोर संभालने वाले गुट ने सोच लिया था कि अब बाऊ जी के वर्चस्व का चैप्टर जिले में क्लोज हो गया है। उन्हें पार्टी कार्यक्त्रमों में बुलाए जाने तक का काम क्त्रम भी थम गया था। इसका उदाहरण मिसाल लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। इस बीच गुटबाजी चरम पर पहुंच गई और बाऊ जी के भक्त पार्टी गतिविधियों से दूर होते गए। पार्टी की स्थिति मजबूत होने की बजाय और नाजुक हालात में पहुंच गई। क्योंकि जो नाराज हो गए, वो तो घर बैठ ही गए और जो पार्टी के लिए लडऩे निकले थे, उनके साथ काफिला नहीं चला। कहीं पेयजल प्रदूषित तो नहीं रूपनगर बाईपास और खैराबाद के पास बसी मुस्लिम समुदाय की आबादी में बच्चे ही नहीं युवा और बुजुर्ग तक पेयजल जनित बीमारियों की चपेट में हैं। हर रोज आसपास के प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों में मरीज आ रहे हैं। एक प्राइवेट डॉक्टर ने बताया कि हालात बेहद बुरे हैं। मजदूर आबादी होने की वजह से यहा के लोग स्वास्थ्य को लेकर जागरूक नहीं हैं। लोग एक दो बार दवा लेकर चला जाते हैं। दोबारा जब बीमारी ठीक नहीं होती, तो दोबारा डॉक्टर के पास चक्कर मारते हैं। यह आबादी कहा से पेयजल ले रही है, क्या वो पेयजल पीने के लायक है नहीं, ये भी जाच का विषय है। शायद ही कोई सरकारी विभाग इन चीजों को चेक करता हो। अगर करता है तो वहा पेयजल की क्वालिटी सुधार के लिए प्रयास होने चाहिए। सभी का हक है कि प्रदूषित रहित पानी और हवा उन्हें मिले। ..तो नुकसान न होता यहा न तो बाढ़ आई थी न ही कोई प्राकृतिक आपदा, पर मानव निर्मित समस्या ने अवानकोट आदि छह गावों की 550 एकड़ किसानों की फसल को तबाह कर दिया। इस तरफ संबंधित विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। प्रशासन गिरदावरी करवाने के दावे तो कर रहा है लेकिन मुद्दा ये है कि इलाके में तैनात संबंधित विभागों के कर्मचारियों की क्या कोई जिम्मेदारी नहीं है। कई दशकों से प्राकृतिक बरसाती पानी का रास्ता क्यों कैसे जमीन के मालिकों ने बंद कर दिया। अगर पहले ही संबंधित विभाग इस मामले को गंभीरता से लेता, तो किसानों का इतना नुकसान न होता। अब गिरदावरी होगी फिर मुआवजा देने की प्रक्त्रिया होगी। इसमें भी कई दिन लगेंगे और तब तक नुकसान झेल रहा किसान और कर्ज तले आ जाएगा। कोई पूछने वाला हो तो इन विभागों के संबंधित अधिकारियों की शामत आ जाएगी। ड्यूटी में कोताही और कोताही भी ऐसी, जो सहन नहीं की जा सकती। अजय अग्निहोत्री, रूपनगर

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.