असीं वडेयां घरां दे काके सानू फिक्र ना फाके
रूपनगर सानू फिक्र ना फाके असीं वडेयां घरां दे काके..ये लाइनें रूपनगर के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर पूरी तरह स्टीक बैठती हैं। दोपहिया वाहनों पर स्कूली विद्यार्थी तीन- तीन और कई बार चार- चार भी सवार होकर ऐसे जाते हैं ।
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर
सानू फिक्र ना फाके, असीं वडेयां घरां दे काके..ये लाइनें रूपनगर के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर पूरी तरह स्टीक बैठती हैं। दोपहिया वाहनों पर स्कूली विद्यार्थी तीन- तीन और कई बार चार- चार भी सवार होकर ऐसे जाते हैं । जैसे उन्हें न तो अपनी ¨जदगी की परवाह है और न ही दूसरों की। तेज रफ्तार और वो भी एक दूसरे से आगे निकलने की होड़। ऐसे में अगर कोई अनहोनी होती है तो जिम्मेदारी किसकी होगी। अभिभावकों की, जो बच्चों को दोपहिया वाहन लेकर देते हैं या फिर स्कूल प्रबंधकों की जो ये सब अनदेखा कर रहे हैं। अंतिम जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस की तय की जा सकती है जो स्कूलों में जाकर न सिर्फ जागरूकता सेमिनार लगाकर बच्चों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देते हैं बल्कि शहर में समय समय पर ट्रैफिक नाके लगाकर ट्रैफिक नियमों क उल्लंघन करने वाले बच्चों के चालान करती है।
रूपनगर में ट्रैफिक नियमों को लेकर स्कूलों के विद्यार्थी गंभीर नहीं हैं। बच्चों के जान हथेली पर लेकर दोपहिया वाहन चलाने के हालात स्कूल की छुट्टी होते ही देखे जा सकते हैं। दोपहिया वाहन विद गियर और विदाउट गियर लिए स्कूलों के विद्यार्थी सड़कों पर रफ्तार को पकड़ते देखे जा सकते हैं। ऐसा भी नहीं है कि स्कूल प्रबंधक विद्यार्थियों को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन न करने के लिए प्रेरित नहीं करते। सबसे अहम बात ट्रैफिक पुलिस के एजूकेशन सेल के प्रयास भी यहां आकर फ्लॉप साबित हो रहे हैं। एजूकेशन सेल लगातार ट्रैफिक नियमों के पालन को लेकर जागरूकता फैला रहा है, बावजूद इसके हालात इसके विपरीत हैं। दैनिक जागरण ने स्कूलों की छुट्टी के वक्त शहर में दौरा किया तो पाया कि किस तरह ट्रिप्प¨लग करते हुए युवा सड़कों पर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में होते हैं। पिछले साल लगाए 500 जागरूकता कार्यक्रम जागरण द्वारा जुटाई जानकारी के मुताबिक पिछले साल 2018 में ट्रैफिक एजूकेशन सेल ने जिले में 500 के आसपास ट्रैफिक जागरूकता सेमिनार व कैंप लगाए। इसमें से 200 से ज्यादा रूपनगर शहर एवं आसपास के स्कूलों और आम स्थानों में लगाए गए। इसके बावजूद विद्यार्थी ट्रैफिक नियमों को लेकर गंभीर नहीं हैं। विद्यार्थियों को बनाएंगे ट्रैफिक मार्शल जिला ट्रैफिक एजूकेशनल सेल के इंचार्ज एएसआइ सुखदेव ¨सह ने कहा कि उनका एजूकेशन सेल जिला पुलिस प्रमुख की हिदायतों पर स्कूलों, ट्रक यूनियनों, टैक्सी यूनियनों में जागरूकता कैंप लगाता रहता है। इसके बावजूद स्कूली विद्यार्थियों में जागरूकता का अभाव उन्हें भी खटकता है। वो इस सेशन से स्कूली विद्यार्थियों को अपने साथ लेकर बतौर मार्शल उन्हें ट्रैफिक नियमों को लागू करवाने में योगदान डलवाने की योजना बना रहे हैं। इससे वो खुद जागरूक होंगे और बाकी विद्यार्थियों को भी प्रेरणा मिलेगी। सबसे पहले अभिभावक निभाएं कर्तव्य खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल रूपनगर के ¨प्रसिपल कुल¨वदर ¨सह ने कहा कि ये संजीदगी भरा मामला है। जब कोई बच्चा किसी अनहोनी का शिकार होगा, तब ही अभिभावक व पुलिस प्रशासन जागेगा। स्कूल प्रबंधन अपने स्तर पर जब ऐसे मामले में कार्रवाई करता है तो अभिभावक सबसे पहले बच्चे के पक्षधर बनते हैं। अभिभावक अगर अपनी जिम्मेदारी समझें तो माइनर बच्चों को दोपहिया वाहन न ही दें। अगर बिना गियर लाइसेंस के साथ देना है तो कम से कम उन्हें ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करें।