नौ साल से जल पहुंचा रहे धरती के गर्भ में
रूपनगर जिले का सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल फूलपुर ग्रेवाल अपने आप में मिसाल है। साल 2010 में स्कूल में वाटर रिचार्जिंग यूनिट स्थापित कर दिया गया था और तबसे लेकर अब तक हरेक ये स्कूल भू-जलस्तर को बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है। स्कूल एक एकड़ में फैला हुआ है और पूरे स्कूल में ऐसी व्यवस्था की गई है कि बरसात और टंकियों का ओवरफ्लो होने वाला पानी धरती के गर्भ में पहुंचाया जा रहा है। स्कूल की प्रिसिपल संगीता शर्मा बताती हैं कि स्कूल केसाइंस लेक्चरार शेर सिंह ने पंजाब स्टेट कौंसिल फार साइंस एंड टैक्नालोजी की सहायता से वाटर रिचार्जिंग सिस्टम स्कूल में लगवाया था। तबसे हरेक साल स्कूल लाखों लीटर बारिश का पानी धरती के गर्भ में भेज रहा है।
जागरण संवाददाता, रूपनगर : सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल फूलपुर ग्रेवाल अपने आप में मिसाल है। साल 2010 में स्कूल में वाटर रिचार्जिग यूनिट स्थापित कर दिया गया था। तबसे लेकर अब तक हरेक ये स्कूल भू-जलस्तर को बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है। स्कूल एक एकड़ में फैला हुआ है। पूरे स्कूल में ऐसी व्यवस्था की गई है कि बरसात और टंकियों का ओवरफ्लो होने वाला पानी धरती के गर्भ में पहुंचाया जा रहा है। स्कूल की प्रिसिपल संगीता शर्मा बताती हैं कि स्कूल के साइंस लेक्चरार शेर सिंह ने पंजाब स्टेट कौंसिल फार साइंस एंड टेक्नोलॉजी की सहायता से वाटर रिचार्जिंग सिस्टम स्कूल में लगवाया था।
13 हजार में स्थापित किया था वाटर रिचार्जिंग सिस्टम
लेक्चरार शेर सिंह गिल बताते हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय वातावरण जागरूकता लहर के तहत कौंसिल फार साइंस एंड टेक्नोलॉजी चंडीगढ़ से प्राप्त मात्र 13 हजार रुपये की राशि से वाटर रिचार्ज करने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। उनके मन की इच्छा थी कि बच्चों को स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ समाज के प्रति बनते कर्तव्य के बारे में जागरूक किया जाए। उन्होंने पानी संभाल का ये प्रोजेक्ट स्कूल में शुरू किया। पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल भी स्कूल आकर वाटर रीचार्जिंग सिस्टम देख चुके हैं।
80 फीट गहरा है स्कूल में बोर
स्कूल में 80 फीट गहरा बोर करके बारिश और स्कूल में इस्तेमाल होने वाले पानी धरती में रिचार्ज किया जा रहा है। हरेक साल 26 लाख से ज्यादा पानी रिचार्ज किया जा रहा है। शेर सिंह बताते हैं कि स्कूल में 250 विद्यार्थी हैं। एक विद्यार्थी अनुमानित तीन लीटर पानी इस्तेमाल करता है। रोजाना 750 लीटर पानी इस तरह इस्तेमाल होने के बाद रिचार्ज हो रहा है। 750 लीटर को 240 वर्किंग दिनों से गुना करने पर एक लाख 87 हजार 500 लीटर पानी बनता है, जबकि एक एकड़ में सारा साल होने वाली बारिश का करीब 24.50 लाख लीटर पानी रिचार्ज किया जा रहा है।
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