लुबाना भाईचारे की बस्ती को जाने के लिए बनने लगी सड़क
गांव लोअर दोलोवाल के भाखड़ा नहर से पार खड्ड के साथ पड़ते वार्ड नंबर पांच लुबाना भाईचारे की बस्ती को आजादी के बाद अब तक पक्की सड़क नसीब नहीं हुआ था। अब ग्राम पंचायत लोअर दोलोवाल द्वारा इस बस्ती को जाने के लिए लिक सड़क का निर्माण का काम शुरू करवा दिया गया है।
संवाद सूत्र, कीरतपुर साहिब : गांव लोअर दोलोवाल के भाखड़ा नहर से पार खड्ड के साथ पड़ते वार्ड नंबर पांच लुबाना भाईचारे की बस्ती को आजादी के बाद अब तक पक्की सड़क नसीब नहीं हुआ था। अब ग्राम पंचायत लोअर दोलोवाल द्वारा इस बस्ती को जाने के लिए लिक सड़क का निर्माण का काम शुरू करवा दिया गया है।
गांव लोअर दोलोवाल के सरपंच एडवोकेट विक्रम ठाकुर ने बताया कि हमारे ही गांव के वार्ड नंबर पांच लुबाना भाईचारे की बस्ती जोकि खड्ड के साथ पड़ जाती है। उसकी 250 के करीब आबादी और 120 के करीब वोटें हैं। इस बस्ती को जाने-आने के लिए देश आजाद होने से पहले से लेकर अब तक कोई पक्की गली, सड़क नहीं थी। देश की आजादी के बाद इस वार्ड के लुबाना भाईचारे से राजनैतिक पार्टियों के नेता सड़क बनाने के नाम पर वोटें बटोरते रहे। किसी ने भी सड़क नहीं बनाई। जिस कारण इस बस्ती के निवासी खड्ड कच्चे रास्ते द्वारा ही अपने घरों को आते जाते रहे।
ग्राम पंचायत लोअर दोलोवाल ने इस बस्ती को आने -जाने के लिए सड़क न होने का मसला हलका विधायक और पंजाब विधान सभा के स्पीकर राणा कंवरपाल सिंह के ध्यान में लाया। जिनके द्वारा वार्ड नंबर पांच लुबाना भाईचारे की बस्ती को जाने के लिए सड़क बनाने के लिए ढाई लाख रुपये की अनुदान जारी की गई। और लिक सड़क बनाने का काम शुरू करवाया गया। अगर जरूरत पड़ी तो और फंड जारी कर दिया जाएगा। जिसके बाद हमारे की तरफ से सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया गया।
सरपंच एडवोकेट विक्रम ठाकुर ने बताया कि भाखड़ा नहर की पटड़ी से वार्ड नंबर पांच लुबाना भाईचारे की बस्ती तक सीधी करीब एक किलोमीटर लंबी और 10 फीट चौड़ी लिक सड़क का निर्माण ग्राम पंचायत की तरफ से शुरू कर दिया गया है। जिसको धीरे धीरे अनुदान आने पर आगे को बढ़ाया जाएगा। इसको एतिहासिक गुरुद्वारा कंघा साहिब के साथ जोड़ दिया जाएगा। लुबाना भाईचारे ने किया स्वागत
इस मौके वार्ड नंबर पांच में पड़ते लुबाना भाईचारे की बस्ती के लोगों जिनमें अर्जन सिंह, जोगिदर सिंह, मदन सिंह, अमरजीत सिंह, गुरदीप सिंह, चमन लाल, सोमनाथ ने कहा कि देश की आजादी के समय से लेकर अब तक उनके बास को आने जाने के लिए पक्की सड़क नहीं थी। इस कारण हमारी बस्ती के निवासियों को खड्ड के कच्चे रास्ते से अपने घरों को आना जाना पड़ता था। स्कूल जाने वाले बच्चों को काफी दिक्कत आती थी। य