जज्बा: बम धमाके में घायलों के लिए दिया था पहली बार रक्त
संवाद सहयोगी, श्री आनंदपुर साहिब : श्री आनंदपुर साहिब के गांव कुलगरां के वासी तथा मौजूदा पु
संवाद सहयोगी, श्री आनंदपुर साहिब : श्री आनंदपुर साहिब के गांव कुलगरां के वासी तथा मौजूदा पुलिस चौकी श्री आनंदपुर साहिब में बतौर इंचार्ज सेवाएं निभा रहे एएसआइ सर्बजीत ¨सह 86 बार रक्तदान कर चुके हैं। वह जरूरतमंदों के लिए सहायक तथा युवाओं के लिए मिसाल बन चुके हैं।
एएसआइ सर्बजीत ¨सह पंजाब पुलिस में सितारे की तरह चमक रहे हैं। उन्होंने अपनी मौत के उपरांत शरीर को भी दान करने करा फैसला किया है। सर्बजीत की ओर से रक्तदान करने का यह सिलसिला 1989 में लुधियाना डिविजन नंबर 3 में हुए बम धमाके के बाद शुरू किया गया था। इस बम धमाके के दौरान घायल हुए लोगों की जान बचाने के लिए रक्त की बहुत आवश्यकता थी। इस दौरान एएसआइ सर्बजीत बतौर हवलदार वहां सेवा निभा रहे थे। जब उन्हें घायलों के लिए रक्त की जरूरत का पता चला तो उन्होंने रक्तदान करने के लिए हां कर दी। रक्तदान करने के बाद पीड़ित परिवारों के सदस्यों ने उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया।
बस फिर क्या था, मानवता की सेवा तथा मानवता के सबसे उत्तम दान करने की ऐसी ललक पंजाब पुलिस के इस जवान को लगी कि उन्होंने दोबारा पीछे नहीं देखा। वह अब तक 83 बार लोगों को बचाने के लिए रक्तदान कर चुके हैं।
कोई रक्त की कमी से न मरे, यही है मकसद
एएसआइ सर्बजीत ¨सह कबड्डी नेशनल स्टाइल तथा पंजाब स्टाइल के राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने बीबीएमबी की राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती थी। यही कारण है कि खिलाड़ी होने के कारण जहां उनका शरीर पूरी तरह स्वस्थ है, वहीं जब भी उन्हें कोई मौका मिलता है तो वह रक्तदान करने से पीछे नहीं होते। उन्होंने सभी युवाओं से अपील है कि रक्तदान करने से शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए जरूरतमंदों की जान बचाने के लिए सबको आगे आकर रक्तदान करना चाहिए।