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नई रेगुलर पालिसी शिक्षकों को नापसंद

महाराजा रणजीत ¨सह बाग में एसएसए व रमसा शिक्षकों की जिला स्तरीय बैठक होशियार ¨सह तथा सुखजीत ¨सह कैंथ की अध्यक्षता में हुई जिसमें शिक्षकों को रेगुलर करने की सरकारी पालिसी पर गंभीरता से विचार किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 04:17 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 04:17 PM (IST)
नई रेगुलर पालिसी शिक्षकों को नापसंद
नई रेगुलर पालिसी शिक्षकों को नापसंद

संवाद सहयोगी, रूपनगर : महाराजा रणजीत ¨सह बाग में एसएसए व रमसा शिक्षकों की जिला स्तरीय बैठक होशियार ¨सह तथा सुखजीत ¨सह कैंथ की अध्यक्षता में हुई जिसमें शिक्षकों को रेगुलर करने की सरकारी पालिसी पर गंभीरता से विचार किया गया। इस दौरान होशियार ¨सह ने कहा कि कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्री ओपी सोनी ने बैठक में संकेत दिया था कि राज्य सरकार एसएसए व रमसा शिक्षकों का विलय शिक्षा विभाग में करने जा रही है। अगर सरकार शिक्षकों को ठेका आधारित प्रणाली से निजात दिलाते हुए रेगुलर करती है तो हर शिक्षक इस कदम का स्वागत करता है। लेकिन रेगुलर करने के लिए जिस पालिसी को सरकार द्वारा अपनाने पर विचार किया जा रहा है वह बड़ी ¨चता का विषय है। नई पालिसी के अनुसार वेतन के कम होने से हर शिक्षक को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। सिंह ने बताया कि जब यह सवाल शिक्षा मंत्री के समक्ष रखा तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी को रेगुलर होना है तो उसे इसी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।

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बैठक में मनमोहन ¨सह, बल¨जदर ¨सह, हरप्रीत ¨सह, हरमनदीप ¨सह, बलजीत कौर, सतवीर कौर, चेतना बत्ता, हरजीत कौर, पर¨मदर ¨सह, गुरप्रीत कौर, अवतार ¨सह जगमोहन ¨सह, चंद्रकांता, ललित, कुलवंत ¨सह, गगनदीप कौर, म¨नदर, प्रियंका हाजिर थे।

फिर से कुशलता जांचना समझ से परे

सुखजीत ¨सह कैंथ ने कहा कि पिछले आठ-दस साल से सरकार शिक्षकों की कुशलता की शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कार्यों में पूरी तरह से परख कर चुकी है, यहां तक कि एसएसए व रमसा शिक्षकों को दूर दराज के सरकारी स्कूलों में भी लगाया जा चुका है तथा उन्हें इस बात का गर्व है कि हर शिक्षक परख की परीक्षा में पास हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसी सूरत में दोबारा तीन साल की परख करना जायज नहीं है।

कानून बनने से पहले हुई शिक्षकों को भर्ती

कैंथ ने कहा कि जिस कानून का शिक्षा मंत्री ने हवाला दिया है वो कानून 15 जनवरी 2015 का है जबकि इन शिक्षकों की भर्ती इससे पहले की है जिसके चलते इन शिक्षकों पर तीन साल परख थोपना किसी भी सूरत में जायज नहीं है। उन्होंने शिक्षा मंत्री से अपील की कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षकों के हित में सही फैसला करवाया जाए। इसके अलावा पिछली सरकार द्वारा शिक्षकों पर दर्ज झूठे मामले रद्द करने की मांग उठाई।


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