भैरोमाजरा पहुंचे नगर कीर्तन का किया स्वागत
संत- महापुरुषों की याद में भैरोमाजरा में चल रहे संकल्प समागम के दूसरे दिन गांव कलारां और पपराले से दो नगर कीर्तन साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया और पांच प्यारों की अगुआई में सजाए गए।
संवाद सूत्र, चमकौर साहिब: संत- महापुरुषों की याद में भैरोमाजरा में चल रहे संकल्प समागम के दूसरे दिन गांव कलारां और पपराले से दो नगर कीर्तन साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया और पांच प्यारों की अगुआई में सजाए गए। गुरुद्वारा श्री दशमेशगढ़ साहिब में पहुंचने पर संत बाबा अमर सिंह, जत्थेदार बाबा सुखपाल सिंह, रिटायर डीआइजी परमजीत सिंह गिल, तहसीलदार अजीत सिंह लौगियां, सरपंच हरकरन सिंह समेत बड़ी संख्या में संगत ने नगर कीर्तन का स्वागत किया। नगर कीर्तन में संत बाबा दलबीर सिंह लखमीपुर झल्लियां वाले, प्रधान नच्छतर सिंह, बहादुर सिंह नंबरदार, सज्जन सिंह कलारां, पूर्व प्रधान हरपाल सिंह, गुरदेव सिंह, ज्ञानी बलविदर सिंह, जगतार सिंह, जोगा सिंह, कुलदीप सिंह, गुरमेल सिंह समेत बड़ी संख्या में संगत वाहनों पर सवार थी। समागम के अंतिम दिन आज श्री अखंड पाठ साहिब के भोग के बाद कीर्तन दरबार होगा, जिसके भोग रात 10 बजे डाले जाएंगे। इस दौरान रक्तदान कैंप भी लगाए जाएगा। संत करतार सिंह और सरदूल सिंह जी की याद में सजाया नगर कीर्तन जागरण संवाददाता, रूपनगर : ब्रह्म ज्ञानी संत बाबा करतार सिंह जी व संत बाबा सरदूल सिंह जी गुरुद्वारा दशमेशगढ़ भैरोमाजरा वालों की याद को समर्पित नगर कीर्तन जंगसर साहिब पपराला से सजाया गया। नगर कीर्तन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया और पांच प्यारों की अगुआई में सजाया गया। नगर कीर्तन दौरान बड़ी संख्या में ट्रैक्टर ट्रालियों पर सवार संगत ने सतनाम वाहेगुरु का जाप किया गया। नगर कीर्तन में रागी जत्थों ने कीर्तन से संगत को निहाल किया गया। नगर कीर्तन गुरुद्वारा श्री जंगसर पपराला से आरंभ होकर पुलिस लाइन, पावर कालनी, श्री भट्ठा साहिब चौक, पुराना बस स्टैंड, नए पुल से ज्ञानी जैल सिंह नगर, कालेज रोड, बैला चौक, छोटी हवेली, खैराबाद, बुड्ढ भ्योरा, माहलां झल्लियां, जगतपुर चौक से श्री दशमेशगढ़ भैरोमाजरा में पहुंचकर समाप्त हुआ। नगर कीर्तन का विभिन्न स्थानों पर संगत ने स्वागत किया गया। गांव खैराबाद में गुरुद्वारा बाबा सतनाम जी नंगल चौक रूपनगर के मुख्य सेवादार संत बाबा हरदीप सिंह की अगुआई में संगत के लिए पकौड़ों का लंगर लगाया गया। इस दौरान संगत को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया।