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गोपाष्मी पर सेवकों ने की गो पूजा

हिंदू धर्म के शास्त्र अनुसार गोपाष्टमी के महत्व के मद्देनजर रविवार को इलाके में विभिन्न जगहों पर गोमाता की पूजा कर लोक कल्याण की कामना की गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 04:30 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 04:30 PM (IST)
गोपाष्मी पर सेवकों ने की गो पूजा
गोपाष्मी पर सेवकों ने की गो पूजा

जागरण संवाददाता, नंगल: हिंदू धर्म के शास्त्र अनुसार गोपाष्टमी के महत्व के मद्देनजर रविवार को इलाके में विभिन्न जगहों पर गोमाता की पूजा कर लोक कल्याण की कामना की गई। भट्टों गांव में स्थित गौशाला में पहुंचे हरियावल पंजाब के राकेश मोहन आहुजा ने बताया कि गायों का पूजन करके गुड़ व हरा चारा खिलाकर गोमाता का आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने गोशाला की विशेषता बताते हुए कहा कि गोशाला में अपना शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय साहिवाल, गिर गाय, राठी और रेड सिंधी गाय मौजूद हैं, इनका दूध उपलब्ध है। गोपाष्टमी का विशेष महत्व है। इसी दिन से भगवान कृष्ण ने गोमाता को खुले में चारण करने का कार्य शुरू किया था। इसी कारण उनका नाम गोपाल पड़ा था। उधर गांव मैदा माजरा में भी गोपाष्टमी पर गाोमाता की पूजा करके आराधना की। गाय व बछड़े के साथ ग्वालों व विद्वान पंडितों को भी दक्षिणा देकर प्रभु श्री कृष्ण से सुख समृद्धि की कामना की गई। अन्य जगहों पर भी सुबह से ही धूप, दीप व मिष्ठान के रूप में गोमाता को गुड़ अर्पित करके हार डाले गए। मैदा माजरा गांव में भी गाय माता की पूजा अर्चना करके सुख समृद्धि की कामना की गई। गांव के समाज सेवक राम कृष्ण, उर्मिला द्विवेदी, उमेश शर्मा, कमल नैन शर्मा, विनोद पराशर, कोमल पराशर आदि ने गोमाता को तिलक लगाकर पूजा करते हुए बताया कि गोसेवा सभी को अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि गाय माता के शरीर से निकलने वाली ऊर्जा प्राणी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। गाय से सेवा करने वाले सच्चिदानंद भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करते हैं। अपने भक्त की सभी विपदाओं को हर लेती है गोमाता कार्यक्रम के दौरान मौजूद समाज सेवक राकेश मोहन आहुजा, वैभव आहुजा, विनायक कुमार, गोविंद आहुजा, सोहन लाल आदि ने बताया गया कि गोमाता के सींग में समस्त तीर्थ प्रतिष्ठित हैं, मध्य भाग में ब्रह्मा जी हैं। ललाट में गौरी तथा नासिका के अस्ति भाग में भगवान कार्तिकेय प्रतिष्ठित हैं। गोमाता में तीथरें का निवास भी माना जाता है। 68 करोड़ तीर्थ एवं 33 करोड़ देवी-देवताओं का चलता-फिरता विग्रह गाय ही है। यदि आप कारणवश तीर्थ जाने से असमर्थ हैं, तो गाय की सेवा करने से सभी तीथरें का पुण्य प्राप्त हो जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि गाोमाता की सेवा व उसकी साफ-सफाई का भी ध्यान रखें। ऐसी सेवा करने वाले प्राणी को कपिला गाय के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। जीवन के बाद मोक्ष प्राप्ति का सीधा मार्ग गाय की सेवा ही है। जो व्यक्ति गोमाता की सेवा पूजा करता है, उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गोमाता हर लेती है।

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स्वामी कृपालानंद जी आश्रम में भी की गई गो पूजा स्वामी कृपाला नंद जी महाराज के परम लोक आश्रम दड़ौली में भी गोपाष्टमी पर गो माता की पूजा करके बताया गया कि गाय व बैलों की सेवा से ही समस्त देवी देवताओं की कृपा प्राप्त की जा सकती है। गाय की देह में समस्त देवी देवताओं का वास होने से यह सर्व देवमयी है। गोमाता के प्रत्येक अंग में दिव्य शक्तिया होने का वर्णन मिलता है। गाय के गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी, चरणों के अग्र भाग में आकाशवारी देवता रंभाने की आवाज में प्रजापति और थनों में समुद्र प्रतिष्ठित है। ऐसे में यह तय है कि गौ माता की सेवा निष्पक्ष व नि:स्वार्थ रूप से करने वालों पर देवी देवताओं विशेषकर सच्चिदानंद भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।


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