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बरमला-नैहला सुरंग का पेवर ब्लाक या कंक्रीट से करें उद्धार, आने- जाने वालों का होगा बेड़ा पार

हिमाचल प्रदेश के मनाली में बनी अटल टनल जैसी बरमला-नैहला में बनी सुरंग भी भाखड़ा बाध विस्थापितों के दर्जनों गावों के लिए भी बड़ी राहत बन सकती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 06:10 PM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 06:10 PM (IST)
बरमला-नैहला सुरंग का पेवर ब्लाक या कंक्रीट से करें उद्धार, आने- जाने वालों का होगा बेड़ा पार
बरमला-नैहला सुरंग का पेवर ब्लाक या कंक्रीट से करें उद्धार, आने- जाने वालों का होगा बेड़ा पार

सुभाष शर्मा, नंगल: हिमाचल प्रदेश के मनाली में बनी अटल टनल जैसी बरमला-नैहला में बनी सुरंग भी भाखड़ा बाध विस्थापितों के दर्जनों गावों के लिए भी बड़ी राहत बन सकती है। विश्व की एकमात्र फ्री यात्रा करवाने वाली नंगल भाखड़ा ट्रेन के रास्ते पर भाखड़ा बाध के निर्माण के समय यह सुरंग बनी थी। तब से लेकर अब तक इस सुरंग के मध्य से ही रोजाना कर्मचारियों के अलावा बाध के आसपास क्षेत्र हिमाचल प्रदेश की जिला बिलासपुर व ऊना के लोग इसलिए आते जाते हैं। इससे यह मार्ग काफी छोटा पड़ता है। वर्ष 1948 में बनी यह सुरंग 371 मीटर लंबी और चार मीटर चौड़ी है। 11 किलोमीटर लंबे भाखड़ा बाध रेल मार्ग के रास्ते बनी इस सुरंग से होकर ही लोग पैदल व वाहनों पर आते-जाते हैं। सुरंग के अंदर से गुजरना जोखिम भरा है, लेकिन फिर भी लोग शार्टकट रास्ता होने के कारण सुरंग से होकर ही जाना बेहतर समझते हैं। बाध क्षेत्र के आसपास बसे विस्थापित ग्रामों महिला आल इंडिया हंडोला सलागड़ी, बोहरू, बीहडू, जगतखाना, भाखड़ा बाध काले कुंड आदि की ओर वाहनों तथा पैदल जाने वाले अधिकाश लोग सुरंग से होकर ही गुजरते हैं।

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भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड के पूर्व चेयरमैन इंजीनियर एसके शर्मा की ओर से तैयार की गई विभिन्न राहत प्रदान करने वाली योजनाओं के अंतर्गत इस सुरंग के मध्य से कंक्रीट मार्ग बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया था। हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के सासद अनुराग ठाकुर ने खुद यहा आकर सुरंग प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था, लेकिन आज तक कई तकनीकी रुकावटों के कारण सुरंग के बीच से मार्ग तैयार नहीं हो सका है , जबकि सुरंग के आगे ओलिंडा तक शानदार सड़क मार्ग बनकर तैयार हो चुका है । यह रोजाना दर्जनों गावों के लोगों के लिए बड़ी राहत बना हुआ है। नौ मार्च 2019 को बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन डीके शर्मा ने उद्घाटन के समय यह बताया था कि सुरंग मार्ग जल्द तैयार हो जाएगा। यदि बीबीएमबी जल्द प्रयासों में तेजी लाते हुए सुरंग के मध्य से प्लान के मुताबिक कंक्रीट मार्ग तैयार करता है, तो इससे दर्जनों गावों के लोग आवागमन में राहत महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा यह इलाका आकर्षक पर्यटन स्थल के तौर पर भी विकसित हो सकता है। शार्टकट और सुविधाजनक है रास्ता सड़क मार्ग से जाने के बजाय यदि सुरंग से होते हुए बाध क्षेत्र की ओर जाना है, तो यह रास्ता काफी सुविधाजनक है, जबकि सड़क मार्ग से जाने पर करीब छह किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तथा पहाड़ी इलाके का सफर तय करना पड़ता है। इससे समय तथा पेट्रोल डीजल की भी अधिक बर्बादी होती है। हालांकि सुरंग का उबड़-खाबड़ व पथरीला रास्ता काफी जोखिम भरा भी है। गांवों के लोगों ने उठाई निर्माण की मांग भाखड़ा बाध के निकट गाव नैहला के विस्थापित लोगों ने बीबीएमबी के डिप्टी चीफ इंजीनियर एचएल कंबोज को पत्र सौंपकर सुरंग प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाई गई सड़क को लेकर आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि अधर में लटके प्रोजेक्ट को पूरा किया जाए। ऐसा करने से निश्चित रूप से दर्जनों गावों के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। सरपंच रामलाल ठाकुर, राकेश कुमार, रामपाल पाली, रोशनलाल, सुभाष कुमार व अतुल कुमार ने जल्द सुरंग के अंदर सड़क बनाने का काम जल्द पूरा करने की माग उठाई है। स्वीकृति मिलते ही शुरू होगा काम

फोटो 7 एनजीएल 13 में है। भाखड़ा रेल मार्ग के रास्ते सड़क निर्माण का काम पूरा हो चुका है। सुरंग के अंदर कंक्रीट या पेवर ब्लाक से मार्ग को तैयार करने का प्लान इस वर्ष के एक्शन प्लान में डाला जा चुका है। रेल ट्रैक को अपलिफ्ट एवं मार्ग बनाने की तकनीकी योजना को स्वीकृति मिलते ही सुरंग के अंदर वाहनों के लिए मार्ग बना दिया जाएगा। इस मार्ग के बनने से भाखड़ा बांध की ओर जाने वाला दुर्गम पहाड़ी रास्ता चार किलोमीटर कम हो जाएगा।

इंजी. एचएल कंबोज, उप मुख्य अभियंता, भाखड़ा बांध।


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