एक करोड़ सैलानियों का गवाह बन चुके विरासत -ए -खालसा ने 10वें साल में किया प्रवेश
नौ सालों में एक करोड़ 11 लाख सैलानियों का गवाह बन चुके विश्व प्रसिद्ध विरासत -ए -खालसा ने रविवार को 10वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है।
संवाद सहयोगी, श्री आनंदपुर साहिब: नौ सालों में एक करोड़ 11 लाख सैलानियों का गवाह बन चुके विश्व प्रसिद्ध विरासत -ए -खालसा ने रविवार को 10वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। बेशक बीते साढ़े आठ महीनों में कोरोना महामारी के दौरान इसे सैलानियों के लिए बंद रखा गया था, लेकिन बीती 11 नवंबर से इसके खुलने से सैलानियों में बड़ा उत्साह है। दुनिया भर के सैलानियों ने फिर से आनंदपुर साहिब की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है। इस कारण रोजाना हजारों की संख्या में सैलानी इस अजायब घर को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार ने आनंदपुर साहिब में बनाए गए विरासत -ए -खालसा के अंदर पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत पर आधारित 500 सालों का गौरवशाली इतिहास बखूबी अलग -अलग तकनीकों के साथ दिखाया है। यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ विदेशों में बसते पंजाबियों, उनके बच्चों और नौजवान पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत ही नहीं, बल्कि अपने विरसे और इतिहास के साथ जुड़े रहने के लिए एक माध्यम भी है। 14 मार्च 2006 को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह के विरासत -ए -खालसा की इमारत का उद्घाटन करने के बाद इसे देखने के लिए ब्रिटेन के प्रिस और उनकी पत्नी कैमिला पारकर ने भी यहां का दौरा किया। इसके बाद इसकी लोकप्रियता इस कद्र बढ़ती गई कि पहले लिम्का बुक आफ रिकार्ड और फिर इंडिया बुक आफ रिकार्ड में इसने अपना नाम दर्ज करवाया। इसके बाद एशिया बुक आफ रिकार्ड और फिर वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड में भी विरासत -ए -खालसा ने नाम दर्ज करवाया। उल्लेखनीय है कि कोरोना के कारण फिर से खुले विरासत -ए -खालसा में आने वाले सैलानियों की सरकार की हिदायतों के अंतर्गत अंदर आने से पहले थर्मल स्कैनिग करवाने के उपरांत आगे भेजा जाता है।