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पार्टियों के दावों की निकली 'हवा', जिला नहीं बन पाया पर्यटन हब

हर चुनाव से पहले रूपनगर जिले को टूरिस्ट हब बनाने के वादे तो किए जाते हैं लेकिन चुनावों के बाद दरकिनार कर दिया जाता है। विभिन्न पार्टियों की घटिया राजनीतिक खेल के चलते पहले से स्थित उन स्थलों का अस्तित्व तक खत्म कर दिया गया जिनको देख पर्यटक रूपनगर की तरफ आकर्षित हुआ करते थे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 04:27 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 04:27 PM (IST)
पार्टियों के दावों की निकली 'हवा', जिला नहीं बन पाया पर्यटन हब
पार्टियों के दावों की निकली 'हवा', जिला नहीं बन पाया पर्यटन हब

अरूण कुमार पुरी, रूपनगर : हर चुनाव से पहले रूपनगर जिले को टूरिस्ट हब बनाने के वादे तो किए जाते हैं लेकिन चुनावों के बाद दरकिनार कर दिया जाता है। विभिन्न पार्टियों की घटिया राजनीतिक खेल के चलते पहले से स्थित उन स्थलों का अस्तित्व तक खत्म कर दिया गया जिनको देख पर्यटक रूपनगर की तरफ आकर्षित हुआ करते थे।

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आज हालात यह हैं कि जो पर्यटक पहले रूपनगर में कुदरत के नजारों का लुत्फ उठाने के लिए यहां रुकते हुए बोटिग आदि करने के साथ साथ लजीज खाने का आनंद उठाया करते थे उन्हें अब निराश होकर लौटना पड़ता है। लगभग साढ़े तीन माह पहले रूपनगर जिले के रहने वाले एवं चमकौर साहिब हल्के के विधायक चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद पर्यटन वाले इन प्रोजेक्टों के दोबारा अस्तित्व में आने की उम्मीद तो जागी थी लेकिन उनसे भी कुछ नहीं हुआ। रूपनगर हेडव‌र्क्स की झील

कुदरती नजारों से घिरे रूपनगर हेडव‌र्क्स की झील के पास स्थित पंजाब टूरिजम विभाग के पिकासिया कांप्लेक्स तथा बोट क्लब के साथ साथ जिले के अंतर्गत पड़ते नंगल शहर के कदंबा एवं टूरिस्ट बैंगलो कांप्लेक्स की। तत्कालीन बादल सरकार की नीतियों के चलते करोड़ों रुपये की लागत वाले एवं हर माह लाखों रुपये की आमदन देने वाले रूपनगर के पिकासिया कांप्लेक्स तथा बोट क्लब का तो अस्तित्व तक खत्म हो चुका है जबकि नंगल में विभागीय व सरकारी उदासीनता के चलते करोड़ों रूपये की लागत वाला व हर माह लाखों रुपये की आमदन देने वाला टूरिस्ट बैंगलो कांप्लेक्स लगभग खंडहर बन चुका है। 13 साल पहले पिकासिया कांप्लेक्स व बोट क्लब को तुड़वा दिया गया था

लगभग 13 साल पहले तत्कालीन बादल सरकार ने तीन तारा होटल बनाने का सपना दिखाते हुए रूपनगर के पिकासिया कांप्लेक्स व बोट क्लब को तुड़वा दिया था जबकि दूसरी तरफ नंगल में भी टूरिस्ट बैंगलो कांप्लेक्स की इमारत से सरकारी नियंत्रण को यह कहते हुए हटा लिया था कि अब इसे कांट्रेक्ट पर देकर चलाया जाएगा। रूपनगर की खाली की गई जमीन पर तीन तारा बनाने के लिए अल कैमिस्ट नामक कंपनी के साथ करार किया गया लेकिन वो करार हुआ कब तथा टूटा कब इस बारे आज तक कुछ स्पष्ट नहीं हुआ यानि तीन तारा होटल बना नहीं और पिकासिया व बोट क्लब हाथों से चला भी गया। पिकासिया कांप्लेक्स व बोट क्लब 1972 से 77 तक मुख्यमंत्री रहे एवं पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह की देन थी। इसे वर्ष 2009 में बादल सरकार ने धराशाही करवा दिया। यहां लगभग 40 लोगों को रोजगार मिला हुआ था जबकि हर माह लगभग 15 लाख रुपये की आमदन भी हुआ करती थी। इसी प्रकार नंगल के टूरिस्ट बैंगलो कांप्लेक्स में भी लगभग 30 लोगों को रोजगार मिला हुआ था जबकि आमदन यहां भी लगभग 12-13 लाख रुपया मासिक हुआ करती थी। उल्टा अब यहां नशेड़ियों व असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है।

टूरिस्ट बैंगलो कांप्लेक्स

नंगल के टूरिस्ट बैंगलो कांप्लेक्स की अगर बात करें तो सरकारी सिस्टम को बाहर करने के बाद लगभग दो साल तो ठेके पर इसे चलाया गया। इसके बाद ठेकेदार भी छोड़ गया जबकि आज यह जगह नशेड़ियों का अड्डा बनने के साथ लगभग खंडहर का रूप ले चुकी है।

उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे नेताओं के वादे

लगभग नौ वर्ष पूर्व अंबिका सोनी ने हेडव‌र्क्स झील के साथ वाले क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने का वादा किया था लेकिन दिल्ली जाकर उन्हें अपना वादा याद नहीं रहा। इसके बाद भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए नवजोत सिंह सिद्धू को जब कैप्टन सरकार में लोकल बाडी के साथ साथ पर्यटन मंत्री बनाया गया तो उन्होंने भी रूपनगर का दौरा करते हुए जहां बादल सरकार को कोसा था। वहीं अपने विभाग के अधिकारियों को कांप्लेक्स दोबारा अस्तित्व में लाने बारे कहा गया था बावजूद इसके स्थिति जस की तस रही। अब एक बार फिर जिला रूपनगर के रहने वाले चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने तथा सत्ता पर काबिज प्रदेश कांग्रेस की बागडोर नवजोत सिंह सिद्धू के हाथों में आने के बाद इन पर्यटन स्थलों के दोबारा अस्तित्व में आने की उम्मीद तो जागी थी लेकिन समय दोनों की नोकझोंक में ही निकल गया। अब देखना यह है कि बड़े बड़े दम भरने वाले चन्नी व सिद्धू इन चुनावों के बाद जिला वासियों व पर्यटकों की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं।


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