सरकारी अस्पतालों में नहीं दवाओं की कमी : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. एचएन शर्मा के अनुसार कैंसर व हृदय रोग के ज्यादातर मरीजों का इलाज पहले से पीजीआइ या जीएमसी चंडीगढ़ में ही चलता है लेकिन हृदय रोग सहित अगर कोई अन्य बीमारी का मरीज सिविल अस्पतालों में आता है तो उसे उपचार दिया जाता है।
संवाद सहयोगी, रूपनगर : सिविल सर्जन डॉ. एचएन शर्मा के अनुसार कैंसर व हृदय रोग के ज्यादातर मरीजों का इलाज पहले से पीजीआइ या जीएमसी चंडीगढ़ में ही चलता है लेकिन हृदय रोग सहित अगर कोई अन्य बीमारी का मरीज सिविल अस्पतालों में आता है तो उसे उपचार दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि कर्फ्यू में लोगों के बाहर घूमने पर पाबंदी है लेकिन एंबुलेंस को बुलाने व उसमें मरीज को किसी भी अस्पताल लेकर जाने में कोई रोक नहीं है। उन्होंने बताया कि डीसी के जिन मरीजों का सिविल अस्पतालों के माध्यम से इलाज चल रहा है उनकी दवाई का सिस्टम पहले की भांति चल रहा है क्योंकि उन्हें दवाई पैरा मेडिकल स्टाफ या मल्टीपरपज हैल्थ वर्करों के द्वारा उनके घरों में ही उपलब्ध करवानी व खिलानी होती है।
सिविल सर्जन ने बताया कि कैंसर के मरीजों की रेडियोथैरेपी या कीमोथैरेपी क्योंकि पीजीआइ या जीएमसी चंडीगढ़ के साथ साथ केवल कैंसर अस्पतालों में ही उपलब्ध है इसलिए जिस अस्पताल में मरीज का इलाज चल रहा है उसी अस्पताल के विशेषज्ञों के साथ मरीज के परिजन संपर्क बनाते हुए उनकी सलाह के अनुसार इलाज करवा रहे है। उन्होंने यह दावा भी किया कि अस्पतालों में दवाईयों की उपलब्धता संतोषजनक है लेकिन ब्लड बैंक जरूर खाली होता जा रहा है जोकि चिता का विषय है।
उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस का खतरा होने के कारण कोई रक्तदान कैंप नहीं लगाया जा सकता जबकि हमारे ब्लड बैंक में मात्र 103 यूनिट रक्त उपलब्ध है जिनमें ए नेगेटिव पूरी तरह से खत्म है जबकि बी नेगेटिव व ओ नेगेटिव की स्थिति भी ठीक नहीं है। जिले के कुछ रक्तदानी व कैंप लगाने वाली संस्थाएं स्वास्थ्य विभाग के संपर्क में हैं जिनसे इमरजेंसी के वक्त सहायता मिल जाती है।