5293 प्रवासी पक्षियों से चहका नंगल की राष्ट्रीय वेटलेंड
सुभाष शर्मा, नंगल : प्रवासी पक्षियों की महत्ता के मद्देनजर वर्ष 2006 से विश्व प्रवासी पक्षी दिवस
सुभाष शर्मा, नंगल : प्रवासी पक्षियों की महत्ता के मद्देनजर वर्ष 2006 से विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए अपनाये जाने वाले जरूरी उपायों को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाता है, साथ ही इनके प्रवास को सहज बनाए रखने के उपाय भी किए जाते हैं। यह दिवस मई माह की 10 तारीख को मनाया जाता है। इस दिन पक्षी प्रेमी शैक्षणिक कार्यक्रम, बर्ड वाचिंग, उत्सव आदि आयोजन करके पक्षियों को बचाने के लिए जागरूकता पैदा करते हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2010 को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष घोषित किया गया है।
30 साल में 21 प्रजातिया हो गई हैं लुप्त
एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्रि्वक स्तर पर 192 पक्षी प्रजातियों को अति संकटग्रस्त श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। यह पर्यवास का खत्म होना, शिकार, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, मनुष्यों द्वारा बाधा उत्पन्न करना आदि कारकों का परिणाम है, पर यह सभी किसी न किसी तरह से मनुष्यों के कारण ही है। विलुप्ति की वर्तमान दर प्राकृतिक विलुप्ति दर से हजार गुना ज्यादा है। कहा सौ साल में पक्षी की एक प्रजाति लुप्त होती थी और कहा अब पिछले 30 साल में 21 प्रजातिया लुप्त हो गई हैं।
दूर देशों से हर साल नंगल आते हैं हजारों प्रवासी पक्षी
700 एकड़ जमीन पर भारत सरकार द्वारा बनाई गई नंगल की राष्ट्रीय वेटलेंड में प्रति वर्ष दूर देशों रशिया, अफगानिस्तान, मंगोलिया, तिब्बत, श्रीलंका, वर्मा, साईबेरिया, चाईना आदि से अनुकूल वातावरण के मद्देनजर गर्मियां शुरू होने तक यहां प्रवास करते हैं। यह पक्षी पंजाब की वेटलेंडों रोपड़, कांजली, गुरदासपुर के शालापतन में आकर अपने दिनों को सुखद वातावरण में बिताते हैं। ये पक्षी ठंड के दिनों में यहां करीब 4 महीने तक प्रवास के बाद फरवरी माह के आसपास वापस अपने वतन लौट जाते हैं। पर्यावरण विद डॉ. गुलजीत सिंह चट्ठा के अनुसार नंगल वेटलेंड में प्रवासी पक्षियों के आगमन में बरकरार वृद्धि का कारण यहां पानी की स्वच्छता है। लेकिन धीरे-धीरे अब यह वेटलेंड में दूषित होने लगा है जिसे बचाने के लिए गंभीरता की जरूरत है। डा. चट्ठा के अनुसार यह चिंता का विषय है कि अब नंगल में भी प्रवासी पक्षियों की संख्या कम होनी शुरू हो गई है।
इस बार नंगल आए थे 5293 प्रवासी पक्षी
इस बार वेटलेंड में 5293 पक्षी आए हैं। ग्यारहवें बर्ड सर्वेक्षण करने वाले वाईल्ड लाईफ विभाग, चंडीगढ़ की एवीएन हेवीटेट सोसायटी, चंडीगढ़ वर्ड क्लब, जागृति संस्था व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के पर्यावरणविदों के द्वारा की गई गणना में पाया गया है कि इस साल वेटलेंड व सटे इलाके में 37 प्रजातियों के 5293 प्रवासी पक्षी आए हैं। इस बार खतरे में मानी जाती प्रजाति क्रस्टड पौचर्ड 493 पक्षी देखे गए हैं जो पंजाब की सभी वेटलेंडों से सबसे अधिक है। मैलोड की संख्या 270, स्पॉटबिल ग्रेनएज ग्रीस 27, गैडवाल 791, कूटस 1318 तथा रुडी शैल्डक प्रजाति के पक्षी नंगल इलाके में गणना के दौरान देखे गए हैं। गणना में दर्ज आंकड़ों के अनुसार वेटलेंड में 3731, एनएफएल के ऐश पौंड नया नंगल में 916 तथा नंगल डैम के डाऊन स्टीम सतलुज दरिया इलाके में 646 पक्षी पाए गए हैं।