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सांसद तिवारी ने किया जेएंडके में पंजाबी को नजरअंदाज करने का विरोध

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और श्री आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार पर बरसते हुए कहा कि सरकार की ओर से केंद्र शासित प्रदेश के लिए पांच आधिकारिक भाषाओं को अधिसूचित करते हुए पंजाबी को नजरअंदाज किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 10:33 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 10:33 PM (IST)
सांसद तिवारी ने किया जेएंडके में पंजाबी को नजरअंदाज करने का विरोध
सांसद तिवारी ने किया जेएंडके में पंजाबी को नजरअंदाज करने का विरोध

जागरण संवाददाता, रूपनगर : वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और श्री आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार पर बरसते हुए कहा कि सरकार की ओर से केंद्र शासित प्रदेश के लिए पांच आधिकारिक भाषाओं को अधिसूचित करते हुए पंजाबी को नजरअंदाज किया गया है। तिवारी ने मामले में अकाली दल की चुप्पी पर भी सवाल किए हैं, जो भाजपा के साथ केंद्र में भागीदार है और हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्री हैं।

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सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पंजाबी भाषा के प्रति भाजपा की विरोधता बहुत पुरानी है, जो पंजाबी सूबा आंदोलन के दिनों में सामने आ गई थी और अकालियों का व्यवहार हैरानीजनक है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों का एक बड़ा हिस्सा पंजाबी भाषा बोलता है और यह केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा किया गया पूरी तरह से अन्याय है, जो इस वक्त केंद्र शासित प्रदेश को सीधे तौर पर कंट्रोल करती है और यह भाषाई सांप्रदायिकता के समान है।

तिवारी ने पंजाबी भाषा के प्रति अपने भावनात्मक रिश्ते का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि उनके स्वर्गवासी पिता प्रो. विश्वनाथ तिवारी न सिर्फ एक महान पंजाबी लेखक थे बल्कि पंजाबी भाषा के बड़े समर्थक थे, जिन्होंने चंडीगढ़ को पंजाबी भाषा क्षेत्र साबित करने हेतु एक मुहिम भी चलाई थी। उन्होंने केंद्र सरकार से पंजाबी भाषा को जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं से हटाए जाने संबंधी अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।


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