सही मायनों में भाखड़ा बांध है आधुनिक भारत का मंदिर
सुभाष शर्मा, भाखड़ा बांध (नंगल) देश के प्रथम रक्षामंत्री स्व. बाबू जगजीवन राम की सुपुत्री एवं पूर्व
सुभाष शर्मा, भाखड़ा बांध (नंगल)
देश के प्रथम रक्षामंत्री स्व. बाबू जगजीवन राम की सुपुत्री एवं पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान आधुनिक भारत के मंदिर माने जाते भाखड़ा बांध का भ्रमण किया है। इस मौके पर भाखड़ा बांध के उपमुख्य अभियंता एचएल कंबोज तथा एसई हेडक्वार्टर सहित विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों ने मीरा कुमार का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। ऐतिहासिक विश्राम गृह सतलुज सदन में रुकने के बाद भाखड़ा बांध पहुंच कर उन्होंने नेहरू सेंटर में लगाए उन सभी चित्रों को ध्यानपूर्वक देखा, जिनके माध्यम से भाखड़ा बांध के निर्माण काल समय पं. जवाहर लाल नेहरू के योगदान की कहानी झलक रही थी। सतलुज सदन में उस कक्ष को भी उन्होंने देखा जहां पं. जवाहर लाल नेहरू बेहद सादगी के साथ बांध निर्माण के समय यहां 13 बार आकर रुके थे। इंजी. एचएल कंबोज ने पूर्व स्पीकर को उन सभी उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी जिनके माध्यम से भाखड़ा बांध प्रतिदिन राष्ट्र निर्माण में सस्ती (करीब 27 पैसे प्रति यूनिट) लागत वाली बिजली पैदा करके योगदान दे रहा है। उन्होंने पानी से लबालब भरी भाखड़ा बांध की गोबिंद झील के मौजूदा जलस्तर संबंधी जानकारी हासिल करने के साथ-साथ डैम की गोबिंद सागर झील में बोटिंग की। किसी जमाने में बॉलीवुड का विशेष आकर्षण रहे रोज गार्डन में रुककर पूर्व स्पीकर ने अपने अनुभव व्यक्त करते हुए कहा कि सही मायनों में भाखड़ा बांध आधुनिक भारत का मंदिर है, जिसके निर्माण के लिए नेहरू ने सराहनीय योगदान दिया है। उन्होंने इंजी. एचएल कंबोज की ओर से बांध संबंधी दी गई जानकारी को भी यादगारी बताते हुए कहा कि नि:संदेह भाखड़ा नंगल पनबिजली परियोजना राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दे रहे हैं। इस मौके पर भाखड़ा डैम सर्कल के अधीक्षण अभियंता वीके गर्ग, इंजी. वीरेंद्र धीमान आदि के साथ मीरा कुमार ने संयुक्त चित्र खिंचवा कर अपने दौरे को यादगारी बताया। नहीं बैठीं नेहरू की कुर्सी पर
सतलुज सदन विश्राम गृह में मौजूद सभी लोग उस समय हैरान रह गए जब मीरा कुमार ने स्व. पंडित जवाहर लाल नेहरू के कक्ष में संजोकर रखी गई उनकी (नेहरू) कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया। आदर के संस्कारों का परिचय देते हुए मीरा कुमार ने कहा कि वे नेहरू जी की कुर्सी पर नहीं बैठ सकतीं क्योंकि वे हमारे देश के वरिष्ठ व पूजनीय शख्शियत हैं। उन्होंने कहा कि वे भाखड़ा बांध निर्माण काल समय अपने पिता स्व. बाबू जगजीवन राम के साथ यहां आई थीं। उस समय वे काफी छोटी उम्र की थीं। नेहरू जी ने बड़े गर्व के साथ निर्माणाधीन भाखड़ा बांध से साकार होने वाले हरित क्रांति के सपने की जानकारी उन्हें भी दी थी। भाखड़ा बांध बनने के बाद पहली बार वे यहां भ्रमण पर आई हैं। इस मौके पर बीबीएमबी अधिकारियों के साथ भारतीय पुनर्वास परिषद की कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन डा. केआर आर्य भी मौजूद थे।