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शहीद के पिता बोले- सै‍निकों के हाथ और डंडे से कुछ न होगा, पत्‍थरबाजों को गोलियों से मिले जवाब

पुलवामा में हुए आत्‍मघाती आतंकी हमले में शहीद हुए बलविंदर सिंह के पिता ने कहा कि बेटे की शहादत पर नाज है, लेकिन सैनिेकाें के हाथ खाेलें जाएं। पत्‍थरबाजों को गोलियों से जवाब मिले।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 10:46 AM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 11:22 AM (IST)
शहीद के पिता बोले- सै‍निकों के हाथ और डंडे से कुछ न होगा, पत्‍थरबाजों को गोलियों से मिले जवाब
शहीद के पिता बोले- सै‍निकों के हाथ और डंडे से कुछ न होगा, पत्‍थरबाजों को गोलियों से मिले जवाब

अजय अग्निहोत्री/हरपाल ढींडसा, नूरपुरबेदी (रूपनगर)। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुआ नूरपुरबेदी के गांव रौली का जवान कुलविंदर सिंह के पिता दर्शन सिंह काे गर्व है कि बेटा देश के लिए शहीद हो गया। इसके साथ ही उनको मलाल है कि हमारे सैनिकों के हाथ बंधे हुए हैं। उनका कहना है कि कश्‍मीर में पत्‍थरबाजों को गोलियों से जवाब देना चाहिए। सैनिकों के हाथों में डंडे देने से क्‍या होगा। बेटे की शहदात के बारे में पता चलने के बाद से कुलविंदर सिंह की माता अमरजीत कौर की हालत बहुत खराब है। वह विलाप करती हुईं, बेटे को सामने लाने की जिद कर रही हैं।

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शहीद कुलविंदर के पिता बोले- ब्याह दियां साइयां देके गया सी मेरा पुत्त, होनी दा की पता सी...

बलविंदर 11 फरवरी को ही 10 दिन की छुट्टी के बाद घर से ड्यूटी पर लौटा था। वह परिवार की इकलौती संतान था। नवंबर में गांव लोदीपुर की सरबजीत कौर के साथ उसकी शादी तय हुई थी। 10 दिन की छुट्टी में उसने शादी के लिए गाडिय़ों, रसोइयों को बुकिंग की थी। घर में रंग रोगन करवाने का काम भी सौंपकर गया था। यही नहीं दोस्तों को कहकर गया था कि घरवालों के साथ शादी की तैयारियों में हाथ बंटाना।

कुलविंदर के पिता दर्शन सिंह कहते हैं,  'होनी नूं कुछ होर ही मंजूूर सी, ब्याह दे इंतजामां दी साइयां देके गया सी मेरा पुत्त।' इतना कहते आंखों से आंसू फूट पड़े। बेटे की शहादत पर गर्व है, लेकिन मलाल इस बात का है कि सैनिकों को गोली चलाने की इजाजत नहीं दी जाती। पत्थरबाजों को गोली से जवाब देना चाहिए। सैनिकों के हाथों में डंडे देकर क्या होगा।'
 
इकलौते बेटे की परिवार ने नवंबर में तय की थी शादी, शहादत की खबर से गम में डूबा गांव

गांव रौली का माहौल पूरी तरह गमगीन था। गांव का हर शख्स बहादुर सुपूत की शहादत के बाद से सदमे में है। शहीद के घर पर कोई माता अमरजीत को संभाल रहा था, तो कोई पिता दर्शन को इस विपदा की घड़ी में हौसला दे रहा था।

पांच साल पहले हुआ था भर्ती

कुलविंदर सिंह पांच साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। नूरपुरबेदी के सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई की और फिर नंगल से आइटीआइ की। पढ़ाई के बाद 21 साल की उम्र में सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन में बतौर सिपाही भर्ती हो गया।


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