आतंकियों के आगे जतिंदरपाल ने नहीं टेके घुटने
17 जुलाई 1990 का दिन रूपनगर शहर के लिए काला दिन था। दो दिन पहले कॉलेज में तैनात महिला प्रिसिपल को आतंकवादियों ने अपनी गोली का निशाना बनाया। दो दिन बाद 17 जुलाई को सरकारी कालेज के लाइब्रेरियन स्व.जतिदरपाल सोनी को गोली मार दी।
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर : 17 जुलाई 1990 का दिन रूपनगर शहर के लिए काला दिन था। दो दिन पहले कॉलेज में तैनात महिला प्रिसिपल को आतंकवादियों ने अपनी गोली का निशाना बनाया। दो दिन बाद 17 जुलाई को सरकारी कालेज के लाइब्रेरियन स्व.जतिदरपाल सोनी को गोली मार दी। रूपनगर के बाशिदे जतिदरपाल सोनी को केवल इसलिए आतंकवादियों ने गोली मार दी थी कि वो सरकारी कॉलेज में अनुशासन को कायम रखने के लिए बनाई गई कमेटी के सदस्य थे और कॉलेज में अनुशासन बनाए रखने को लेकर आतंकवदियों की नजर में रोड़ा बन रहे थे।
पिता का साया सिर से उठने के बाद 24 साल के इकलौते बेटे अमित सोनी के सिर पर परिवार की जिम्मेदारी आन पड़ी थी। अमित सोनी बताते हैं कि वो वक्त तो ऐसा था कि तब आतंकवादियों का खौफ इतना था कि उनके पिता की पेंशन, ग्रेच्युटी के दस्तावेजों को कोई कर्मचारी हाथ लगाने तक की हिम्मत नहीं करता था। क्योंकि कोई भी अपनी जिदगी दांव पर नहीं लगाना चाहता था। आतंकवादी धमकियां देते थे। काफी देर बाद जाकर पेंशन लगी। पिता के अजीज लोगों ने साथ दिया और वो धीरे धीरे अपने पैरों पर खड़े हुए। अब अमित सोनी शहर में इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट्स के नामचीन रिटेलर हैं।
अमित सोनी बताते हैं कि उनके पिता स्वर्गीय जतिदरपाल सोनी स्कूटर पर उनकी माता वेद सोनी को सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल (लड़कियां) रूपनगर (तब जिला लाइब्रेरी के साथ) में सुबह छोड़ने गए। जैसे ही स्कूटर स्कूल के गेट के पास रोका और उनकी माता स्कूल में दाखिल हुई तो आतंकियों ने उनके पिता को सिर में गोली मार दी, तब ढाई साल का पोता विभास सोनी भी अपने दादा के साथ स्कूटर के आगे खड़ा था।