डॉ. नरवाल ने लॉकडाउन में 100 कविताएं लिखकर दिखाया कमाल
इंटरनेशनल प्रोफेशनल इंजीनियर एवं भाखड़ा-ब्यास प्रबंध बोर्ड के सदस्य-सिंचाई डॉ. गुलाब सिंह नरवाल ने विश्वव्यापी कोरोना महामारी (कोविड-19) के दौरान लागू रहे लॉकडाऊन में 100 कविताएं लिखकर एक नया कीर्तिमान बनाया है।
सुभाष शर्मा, नंगल : इंटरनेशनल प्रोफेशनल इंजीनियर एवं भाखड़ा-ब्यास प्रबंध बोर्ड के सदस्य-सिंचाई डॉ. गुलाब सिंह नरवाल ने विश्वव्यापी कोरोना महामारी (कोविड-19) के दौरान लागू रहे लॉकडाऊन में 100 कविताएं लिखकर एक नया कीर्तिमान बनाया है। न्यू इरा पब्लिशर्ज चंडीगढ़ के बैनर तले प्रकाशित काव्य संग्रह 'सुराही' बाजार में आ गया है। डॉ. नरवाल को बचपन से ही कविता पढ़ने एवं शेयरो-शायरी का शौक रहा है, सूफियाना अंदाज व प्रकृति प्रेम पर आधारित कविताओं के प्रति इनका ज्यादा लगाव रहा है। कोविड-19 ने जहा समूचे विश्व के मानव जीवन को शून्यकाल की ओर धकेल दिया, वहीं डॉ. नरवाल ने अपनी बचपन की यादों में खो-कर तन्हाई एवं अकेलेपन के अंधेरे को चीरते हुए कविताएं लिखने का शतक लगा कर जनमानस को कठिन परिस्थितियों में भी रंगमयी ढंग से जीवन बिताने की राह दिखाई है ।
डॉ. नरवाल ने सुराही नामक इस कठिन काव्य संग्रह में जहा अपने बाल्यकाल से लेकर अब तक की अपनी संघर्षमयी जीवनशैली एवं कटु अनुभवों को कलमबद्ध किया है, वहीं उन्होंने अपनी कविताओं में प्रकृति प्रेम, रोमास के साथ-साथ आधुनिकता की चकाचौंध में तार-तार होते सामाजिक सरोकारों को बखूबी बयान किया है। निसंदेह उनका यह प्रयास सराहनीय होने के साथ-साथ अतुलनीय भी है। उम्मीद है कि कविताओं का यह शतक साहित्य एवं काव्य प्रेमियों के दिलो-दिमाग पर अपनी अमिट छाप छोड़ेगा और कठिन परिस्थितियों में भी हंसी-खुशी से जीने की राह दिखाएगा ।
ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े डॉ. नरवाल का अतीत बहुत ही संघर्ष पूर्ण रहा है और गरीबी के कारण उन्हें बचपन में ही पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था, पर पढ़ाई के प्रति उनकी रूचि को देखकर उनके नाना-नानी उन्हें अपने गांव ले गए और वहा के स्कूल में उनका दाखिला करवाया। यह शिक्षा के प्रति उनकी गहन रूचि का ही प्रतिफल है कि आज डॉ. नरवाल पीएचडी बॉटनी के साथ-साथ इंजीनियरिंग, मैनेजमैंट, कंप्यूटर साइंस, लॉ, हिस्ट्री, पब्लिक एडमिनीस्ट्रेशन, एनवारमैंट सहित कई विषयों में मास्टर डिग्री व डिप्लोमा होल्डर हैं। साहित्य के प्रति उनके लगाव के चलते अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में उनके अब तक 14 शोध पेपर भी प्रकाशित हो चुके हैं।