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सतलुज व ब्यास के पानी में गांवों की गंदगी मिलने का सिलसिला बरकरार

अंतरराष्ट्रीय स्तर का आकर्षण प्राप्त करके रामसर साइट में शामिल हो चुकी नंगल की राष्ट्रीय वेटलैंड में गंदगी व कचरा सीधा स्वच्छ जल में आकर मिल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 12:38 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 12:38 AM (IST)
सतलुज व ब्यास के पानी में गांवों की गंदगी मिलने का सिलसिला बरकरार
सतलुज व ब्यास के पानी में गांवों की गंदगी मिलने का सिलसिला बरकरार

सुभाष शर्मा, नंगल : अंतरराष्ट्रीय स्तर का आकर्षण प्राप्त करके रामसर साइट में शामिल हो चुकी नंगल की राष्ट्रीय वेटलैंड में गंदगी व कचरा सीधा स्वच्छ जल में आकर मिल रहा है। दूर हिमखंडों से आने वाले सतलुज व ब्यास नदी के पानी से बनी रामसर साइट को अभी तक गंदगी से निजात नहीं मिल सकी है। झील के तटवर्ती गावों में सीवरेज सुविधा नहीं है ना ही मलमूत्र युक्त गंदगी के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लाट लगाया गया है। इन हालातों में लगातार झील से सटे गावों पींघबढ़, खेड़ा बाग, स्वामीपुर बाग, हंडोला आदि का कचरा व गंदगी बड़े-बड़े नालों तथा झाडि़यों के जंगल से होते हुए झील के स्वच्छ पानी में आकर मिल रही है। अभी तक इस प्रदूषण को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है। इन हालातों में पर्यावरण के प्रति चिंतित लोग हैरान हैं कि रामसर साइट में शामिल हो जाने के बावजूद भी वेटलैंड की अनदेखी क्यों की जा रही है।

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प्रधानमंत्री तक भेज चुके हैं पत्र

गाव पींगबड़ी के पूर्व सरपंच राम लाल ने बताया कि वह अपने सरपंच कार्यकाल के दौरान भारत सरकार तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पत्र लिखकर झील की स्वच्छता को बरकरार रखने की माग उठा चुके हैं लेकिन अब भी झील के किनारों से होते हुए आबादी की गंदगी जाकर पानी में मिल रही है। झील किनारे बसे करीब चार गावों के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लाट नहीं है। इस वजह से झील के किनारे दूषित हो रहे हैं। कई जगहों पर फैंकी गई गंदगी आम देखी जा सकती है। बर्फीले देशों से यहां आते हैं प्रवासी पक्षी

रामसर साइट 700 एकड़ में फैली हुई है। इस साइट को वर्ष 2008 में राष्ट्रीय वेटलैंड का खिताब मिला था। वर्ष 2010 में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में शामिल होने के बाद 2020 वर्ष में इन मनोहारी वादियों को रामसर साइट में शामिल किया गया था। झील में आकर मिलने वाले सतलुज व ब्यास नदी का स्वच्छ पानी वेटलैंड का मुख्य आकर्षण है। वर्ष भर 37 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी भी दूर देशों में बर्फबारी के दौरान यहा रामसर साइट में आकर चार माह का समय बिताने आते हैं। अभी तक रामसर साइट के लिए नहीं मिले हैं फंड

वन्य प्राणी विभाग के ब्लॉक अधिकारी गुरचेत सिंह ने कहा कि रामसर साइट की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। गावों से आने वाली गंदगी को रोकने की दिशा में भी विचार किया जा चुका है। जल्द उच्च अधिकारियों के समक्ष यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा कि झील के किनारों पर आकर पहुंचने वाली गंदगी को रोकने के लिए कार्य योजना तैयार की जाए। वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को रामसर साइट तो घोषित किया जा चुका है लेकिन अभी तक इस साइट के रखरखाव के लिए केंद्र से फंड नहीं मिले हैं।


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