अमेरिका में बना 'मेकेनिकल डोजर' स्थापित करके मनाया इंजीनियर्स डे
नंगल आधुनिक भारत के मंदिर माने जाते भाखड़ा बाध के निर्माण में दशकों पहले अहम योगदान देने वाली नंगल वर्कशॉप में मंगलवार को इंजीनियर्स डे मनाया गया।
सुभाष शर्मा, नंगल: आधुनिक भारत के मंदिर माने जाते भाखड़ा बाध के निर्माण में दशकों पहले अहम योगदान देने वाली नंगल वर्कशॉप में मंगलवार को इंजीनियर्स डे मनाया गया। इस बार इस दिवस का महत्व इसलिए विशेष रहा, क्योंकि नंगल यात्रिक परिमंडल के उप मुख्य अभियंता केके सूद ने वर्कशॉप के सम्मान में मुख्य द्वार पर दशकों पुरानी 'मेकेनिकल डोजर' मशीन पूरी तरह से तैयार कर एक यादगार के तौर पर स्थापित की है। इस डोजर मशीन ने बाध निर्माण काल में सराहनीय योगदान दिया है। करीब 70 साल पहले अमेरिका में बनी छह सिलेंडर, चार वॉल्व तथा 12517 सीसी सिलेंडर वोलियम की अथाह शक्ति रखने वाली इस मशीन की पावर 150 एचपी है। ब्लैड लैंथ 13.50 फीट है। इस स्थल का लोकार्पण करते हुए इंजी. सूद ने बताया कि 15 सितंबर का दिन जाने-माने इंजीनियर एम विश्वेश्वरय्या के जन्म दिवस पर उनकी याद में मनाया जाता है। कुशल अभियंताओं को समर्पित इस दिवस पर संदेश दिया गया कि सभी कोविड-19 वैश्रि्वक महामारी से निपटने के लिए भी निरंतर जिम्मेदारी निभाते रहें। इस मौके पर कार्यकारी अभियंता वीके शर्मा, जितेंद्र गोयल, जगजीत सिंह, अनिल बजाज, दलजीत कुमार, गुरविंद्र सिंह, इंद्रपाल सिह, कनिष्ठ अभियंता सुमित कुमार, हरपाल सिंह, जसकिरत सिंह, मुकेश दत्त शर्मा आदि भी उपस्थित थे। तीन हजार कामगार थे वर्कशाप में-- वर्ष 1947 में स्थापित की गई भाखड़ा बांध की नंगल कार्यशाला में विशाल कलपुर्जो के निर्माण के लिए करीब तीन हजार कर्मचारी दिन-रात काम किया करते थे। उस समय इस वर्कशाप में भाखड़ा बांध से आगे तक बिजली पहुंचाने के लिए विशाल टावरों का निर्माण किया जाता था। समय बीतने के साथ-साथ अब इस वर्कशॉप में कर्मचारियों की रिटायरमेंट के चलते मात्र 150 कर्मचारी ही रह गए हैं। वर्कशॉप में रोजगार पैदा करने की मौजूद अपार संभावनाओं का दोहन यदि केंद्र व राज्य सरकार करने के प्रति गंभीरता दिखाती है, तो चरम सीमा पर फैली बेरोजगारी खत्म हो सकती है।