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30 साल बाद खोला बंद लाइब्रेरी का ताला, पुस्तक प्रेमियों की लौटी रौनक

लाइब्रेरी समय- समय की सरकारों की अनदेखी का हमेशा से शिकार रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 10:39 PM (IST)
30 साल बाद खोला बंद लाइब्रेरी का ताला, पुस्तक प्रेमियों की लौटी रौनक
30 साल बाद खोला बंद लाइब्रेरी का ताला, पुस्तक प्रेमियों की लौटी रौनक

अरुण कुमार पुरी, रूपनगर : नेता लोग अकसर शहीदों को नमन करने के साथ उनसे जुड़ी यादों की संभाल करने का संदेश तो देते रहते हैं, लेकिन खुद सत्ता में रहने के बावजूद अपने ही संदेश पर अमल करने से गुरेज करते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है साथ लगते गांव बहरामपुर जिमीदारां में सात दशक पूर्व स्वर्गीय जनरल आत्मा सिंह की याद में बनाई गई जिला बोर्ड लाइब्रेरी के साथ। हालांकि अब इसे गांव की पंचायत ने अपने स्तर पर दोबारा खोल दिया है, जिससे यहां पुस्तक प्रेमियों की रौनक लौट आई है। पूर्व में यह लाइब्रेरी समय- समय की सरकारों की अनदेखी का हमेशा से शिकार रही है। गांव के पूर्व सरपंच हरविदर सिंह कहते हैं कि इस लाइब्रेरी का उद्घाटन 24 नवंबर 1951 को जेसीओ ईस्ट पंजाब जेसी कटोच ने किया था। उस वक्त लाइब्रेरी के फाउंडर आइसीएस कमिश्नर महिद्र सिंह रंधावा थे। उस दौरान विख्यात लेखकों व साहित्यकारों की लिखित व बच्चों के लिए इतिहास से जुड़ी किताबें यहां उपलब्ध करवाई गई थीं। सरकार ने उस समय बोर्ड के माध्यम से एक लाइब्रेरेरियन, एक सेवादार व एक माली भी उपलब्ध करवाया था। उन्होंने बताया कि वर्ष 1980 के दशक में जब जिला बोर्ड टूटा, तो उसके साथ ही लाइब्रेरी भी बंद हो गई। यहां तैनात स्टाफ को सरकार ने बदल दिया। इसके बाद धीरे- धीरे इमारत खंडहर बनने लगी और उस समय की सरकार ने भी इसकी कोई सुध नहीं ली। वहीं वर्तमान सरपंच सतनाम सिंह सोही ने बताया कि इस लाइब्रेरी को दोबारा चालू करने का बीड़ा हरविदर सिंह के नेतृत्व वाली पिछली पंचायत ने उठाया था । उनके नेतृत्व वाली पंचायत पूर्व सरपंच के साथ मिलकर इसकी संभाल कर रही है। पूर्व सरपंच हरविदर सिंह की मानें तो लाइब्रेरी की इमारत सड़क के किनारे है । यहां से जब भी कोई सेना को वाहन गुजरता है, तो सैनिक जनरल आत्मा सिंह का नाम देख यहां माथा टेकते हैं। उन्होंने कहा कि गांव के कुछ गणमान्यों व पंचायत मेंबरों ने लाइब्रेरी को दोबारा चालू करने का फैसला लिया था। जेएंडके में तैनात थे जनरल आत्मा सिंह गांव के पूर्व सरपंच हरविदर सिंह के अनुसार देश को आजादी मिलने के बाद जनरल आत्मा सिंह जम्मू कश्मीर में तैनात रहे। उनके अनुसार जब पाकिस्तान के साथ मिलकर कबायलियों ने देश पर हमला किया तो उनको खदेड़ने में जनरल आत्मा सिंह ने अहम भूमिका निभाई। उस वक्त जनरल ने भारत सरकार से दो दिन उनके ऑपरेशन में हस्तक्षेप न करने की गुहार यह कहते हुए लगाई थी कि उनके जवान दो दिनों में मैदान जीतकर दिखाएंगे, लेकिन भारत सरकार ने आज्ञा नहीं दी। पूर्व सरपंच के अनुसार जनरल की मौत एक सड़क हादसे में हुई थी, जिसके बाद उनके शौर्य को देखते हुए सेना ने जम्मू कश्मीर में जहां उनकी समाधि बनाई, वहीं उनके पैतृक गांव बहरामपुर जिमींदारा में उनकी याद में जनरल आत्मा सिंह जिला लाइब्रेरी भी बनाई ।

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पांच लाख खर्च कर बदली नुहार पूर्व सरपंच हरविदर सिंह कहते हैं कि लगभग 30 साल बंद रहने के कारण खंडहर बन चुकी इमारत में दोबारा प्राण डालने के लिए इस पर गांव वासियों की सहायता से पांच लाख रुपये खर्च किए हैं। आज इसमें एक भव्य हाल, दो कमरे व यू आकार का बरामदा बना हुआ है। इसके अलावा लाइब्रेरी में तीन बड़े टेबल, 20 कुर्सियां व लगभग 200 किताबें उपलब्ध करवाई जा चुकी हैं। इसके अलावा हर दिन लाइब्रेरी में पांच अखबार भी आने लगे हैं। लाइब्रेरी में इन दिनों बुजुर्गों व बच्चों ने भी आना शुरू कर दिया है। पंजाबी साहित्य सभा से लगाई सहायता की गुहार वर्तमान सरपंच सतनाम सिंह सोही के अनुसार इस वक्त लाइब्रेरी की संभाल पंचायत कर रही है । इसे हर दिन खोलने व बंद करने की जिम्मेवारी गांव के चौकीदार को सौंपी गई है, जोकि साफ सफाई का भी ध्यान रखता है। लाइब्रेरी के लिए जनरल आत्मां सिंह के परिवार ने जहां सहयोग का भरोसा दिया है, वहीं पंचायत ने पंजाबी साहित्य सभा नई दिल्ली के चेयरमैन को भी पत्र लिखते हुए सहायता की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी अपील मानी जाती है, तो लाइब्रेरी को 20 हजार किताबों सहित लाइब्रेरियन व सेवादार भी मिल सकता है। लाइब्रेरी के आगे खाली पड़ी जमीन पर पूर्व सरपंच हरविदर सिंह से सहयोग से पार्क भी बनाया जाएगा।

लाइब्रेरी में लगाए गए हैं शहीदों के चित्र सरपंच सतनाम सिंह ने बताया कि उन्हें इस बात का गर्व है कि इस गांव के कई नौजवानों ने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं, जिन्हें सम्मान देने के लिए जनरल आत्मा सिंह लाइब्रेरी में उनके चित्र भी लगाए गए हैं। यहां भारतीय थल सेना के जनरल आत्मा सिंह के चित्र के अलावा 1976 में नागालैंड वार में शहादत पाने वाले शेर सिंह बाला, 1971 में अरब सागर में तबाह हुए जहाज में शहादत पाने वाले पैटी अफसर रणजीत सिंह, आजाद हिद फौज में रहते हुए गांव को सम्मान दिलाने वाले परगट सिंह बाला का भी चित्र लगाया गया है। वहीं 1960-61 में एसजीपीसी अध्यक्ष रहे अजीत सिंह बाला, अंबाला बस सिडीकेट के सचिव रहे बचन सिंह बाला व चेयरमैन रहे गुरशरण सिंह बाला तथा पंजाब स्टेट मोर्चा की मेंबर रही जत्थेदार करतार कौर के चित्र भी लगाए गए हैं, जो आने वाली पीढि़यों के लिए प्रेरणा बनेंगे।


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