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कूड़े से खाद बना कौंसिल करेगी कमाई

रूपनगर रूपनगर शहर को असलियत में रूपनगर बनाने का सपना साकार होने की कवायद ने जोर पकड़ लिया है। ग्रीन रूपनगर क्लीन रूपनगर का नारा देते हुए अगर सब कार्य नेकदिली और संजीदगी से हुआ, तो शहर ना सिर्फ गंदगी मुक्त हो जाएगा बल्कि शहर हराभरा और ईको फ्रेंडली हो जाएगा। कूड़े से तैयार खाद बेचकर कौंसिल का एक आय साधन भी बन जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 09:55 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 09:55 PM (IST)
कूड़े से खाद बना कौंसिल करेगी कमाई
कूड़े से खाद बना कौंसिल करेगी कमाई

जासं, रूपनगर

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रूपनगर शहर को असलियत में रूपनगर बनाने का सपना साकार होने की कवायद ने जोर पकड़ लिया है। ग्रीन रूपनगर क्लीन रूपनगर का नारा देते हुए अगर सब कार्य नेकदिली और संजीदगी से हुआ, तो शहर ना सिर्फ गंदगी मुक्त हो जाएगा बल्कि शहर हराभरा और ईको फ्रेंडली हो जाएगा। कूड़े से तैयार खाद बेचकर कौंसिल का एक आय साधन भी बन जाएगा। इस प्रोजेक्ट मुकम्मल होने के लिए तीन माह का समय लगेगा। फंडों के अभाव से जूझ रही नगर कौंसिल के लिए इस योजना के लिए फंड भी उपलब्ध हो गए हैं। कुल 52 लाख रुपये की राशि नगर कौंसिल के पास आ चुकी है। ऐसा संभव हो पाया है पंजाब म्यूनिसिपल इंफ्रास्ट्रक्चर डवेलपमेंट कंपनी के जरिये जोकि स्थानीय सरकारें विभाग पंजाब की ही ब्रांच है। उपरोक्त फंड स्वच्छ भारत अभियान के तहत नगर कौंसिल को मिला है। ये शहरवासियों से खुशखबरी से कम नहीं है। बकौल, नगर कौंसिल के प्रधान परमजीत ¨सह माक्कड़ ये सब कुछ तभी संभव हो पाएगा अगर शहरवासी कौंसिल के कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। उनका सपना है कि शहर का पर्यावरण स्वच्छ और स्वस्थ हो। 52 लाख के फंड में ये तय हो चुका है कि कहां कितना पैसा खर्च होना है। कौंसिल एरोबिक कंपोस्ट पिट्स बनाने के लिए 12 लाख रुपए की ग्रांट उपलब्ध हुई है। इसमें कुल 120 पिट्स बनेंगे। हरेक एरोबिक कंपोस्ट पिट पर 10 हजार रुपए खर्च होगा, जबकि 40 रेहड़ियां खरीदी जाएंगी। ये रेहड़ी विशेष होगी जिसमें सूखा और भीगा हुआ कूड़ा अलग अलग डाला जाएगा। प्रत्येक रेहड़ी 25 हजार रुपये की तैयार होगी। 40 रेहड़ियां कुल 10 लाख रुपए की बनेंगी। मेटीरियल रिकवरी सुविधा और शेड बनाने के लिए 30 लाख रुपए खर्च आएगा। ऐसे काम करेगा प्रोजेक्ट नगर कौंसिल के प्रधान परमजीत ¨सह माक्कड़ ने बताया कि अगले 21 दिन में टेंडर लगा दिए जाएंगे। जो रेहड़ियां होंगी उनमें दो अलग अलग स्टोरेज होंगी। एक हरा और एक नीला होगा। नीले में सूखा और हरे में गीला कूड़ा डाला जाएगा। संबंधित वार्ड मोहल्ले में जो पिट बनाया जाएगा, उसमें भी दो बॉक्स बनाकर स्टोरेज की जाएंगी। एक स्टोरेज भरने पर उस बॉक्स को बंद कर दिया जाएगा और दूसरे बॉक्स में कूड़ा डालना आरंभ कर दिया जाएगा। इस तरह साठ दिनों में एक बॉक्स में खाद तैयार हो जाएगी तथा उसे खाली कर दिया जाएगा। खाद मेटीरियल रिकवरी सुविधा के तहत दो शेड बनाए जाएंगे, में स्टोर की जाएगी। यही खाद संबंधित वार्ड या मोहल्ले में पार्कों में इस्तेमाल की जाएगी, ताकि पर्यावरण हरा भरा रहे। ये खाद अन्य जगह इस्तेमाल भी की जा सकेगी। इसे बिक्री किया जाएगा। इस तरह गंदगी नाममात्र ही फैलेगी। पॉलीथिन का इस्तेमाल भी बंद हो जाएगा। माक्कड़ ने बताया कि जो कूड़े में कबाड़ आदि होगा उसे कबाड़ियों के लिए छोड़ दिया जाएगा। ताकि उसे भी डिस्पोज आफ किया जा सके। घर घर कूड़ा एकत्र करने के लिए दो डस्टबिन सूखे व गीले कूड़े के लिए लगाए जाएंगे और डोर टू डोर कूड़े की कलेक्शन रेहड़ी के जरिये करके उसे पिट तक पहुंचाया जाएगा।


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