निर्मल हुआ सतलुज और ब्यास नदियों का जल, डाल्फिन करने लगीं अठखेलियां
पंजाब में कर्फ्यू का नदियों पर बेहद सकरात्मक असर पड़ा है ओर ये प्रदूषणमुक्त हो रही हैं। सतुजल और ब्यास नदियों निर्मल हाे गई हैं। इनमें अब डाल्फिन अठखेलियांकर रही हैं।
पटियाला/तरनतारन, जेएनएन। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए पंजाब में लगाए कर्फ्यू के कारण प्रदूषण कम होने से जहां हवा साफ हुई है, वहीं दरिया व नदी-नालों का जल भी निर्मल हो गया है। ब्यास और सतलुज का पानी काफी साफ नजर आने लगा है। ब्यास, सतलुज और रावी के संगम हरिकेपत्तन में के निर्मल जल में डाल्फिन अठखेलियां करती नजर आ रही हैं।
कर्फ्यू का असर : ब्यास व सतलुज में प्रदूषण हुआ कम, पानी हुआ साफ
जल प्रदूषण स्तर में कितना सुधार हुआ इसका पता नहीं चल पाया है। हालांकि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीपीसीबी) ने सोमवार से नदियों के पानी की सैंपलिंग शुरू की गई है। रिपोर्ट 10 दिन बाद आएगी। इसके बाद ही पता चलेगा कि पानी की गुणवत्ता में कितना सुधार हुआ है।
86 वर्ग किलोमीटर में फैली हरिकेपत्तन बर्ड सेंक्चुअरी जिला तरनतारन, कपूरथला व फिरोजपुर के दायरे में आती है। कर्फ्यू में फैक्टरियां बंद होने से दरिया ब्यास व सतलुज के संगम स्थल हरिके पत्तन का पानी साफ हो गया है। इसी का नतीजा है कि यहां डाल्फिन नजर आने लगी हैं। गांव करमूवाला के अलावा गगड़ेवाल, धूंदा, घड़का, हरिके पत्तन व चक्क देसल में लगातार तीन दिन से चार से छह डाल्फिन देखी जा रही हैं।
पीपीसीबी ने कई नदियों के पानी के लिए सैंपल, 10 दिन बाद आएगी रिपोर्ट
वन्यजीव विभाग की टीम भी दिन में तीन बार और रात को दो बार बर्ड सेंक्चुअरी की पेट्रोलिंग कर रही हैं। डीएफओ कुमारी कल्पना, रेंज अफसर कमलजीत सिंह की अगुआई में टीम ने मंगलवार को बोटिंग से मंगलवार को सेंक्चुअरी का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
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हरिकेपत्तन में 2007 में पहली बार दिखाई दी थी डाल्फिन
भारत पाकिस्तान बंटवारे के बाद दरिया ब्यास व सतलुज के संगम हरिकेपत्तन में साल 2007 में पहली बार डॉल्फिन दिखाई दी थीं। माना जा रहा था कि विलुप्त प्राय इंडस डॉल्फिन ने यहां बसेरा कर लिया है। इसके बाद मई 2018 में गुरदासपुर की शुगर मिल का शीरा दरिया में गिरने के बाद बड़ी संख्या में मछलियां मर गई थीं।
डॉल्फिन भी दिखाई नहीं दी पानी के थोड़ा साफ होने के बाद ब्यास में सर्वे किया गया तो दो डॉल्फिन दिखाई दीं। इससे पहले 2011-12 में वन्य जीव विशेषज्ञों ने भी यहां का दौरा किया था। इसके बाद डब्ल्यूडब्ल्यूएफओ द्वारा यहां का सर्वे करवाया गया, जिसमें पता चला कि यहां पर डाल्फिन खुद को प्रजनन के लिए सुरक्षित महसूस करती हैं।
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बुड्ढा नाले की भी बदली सूरत
पीपीसीबी के चेयरमैन प्रो. सतविंदर सिंह मरवाहा ने बताया कि लंबे समय से पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से लाखों खर्च करके बुड्ढा नाला की सफाई का काम किया जा रहा था, लेकिन काफी प्रयास करने के बावजूद सार्थक नतीजे सामने नहीं आ रहे थे। अब कफ्यू के दौरान बुड्ढा नाला का पानी भी पहले के मुकाबले काफी साफ नजर आ रहा है। मरवाहा ने बताया कि कर्फ्यू के कारण फैक्टरियां बंद होने से नदियों व नालों का पानी साफ नजर आ रहा है।
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प्रदूषण से घिरे रहने वाले लुधियाना की हवा सबसे साफ
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों मुताबिक मंगलवार को प्रदूषण से घिरे रहने वाले औद्योगिक शहर लुधियाना का एक्यूआइ सोमवार के मुकाबले छह अंक सुधरा है। सोमवार को जहां लुधियाना का एक्यूआइ 44 दर्ज किया गया था, जोकि मंगलवार को कम होकर 38 रह गया। वहीं पटियाला का एक्यूआइ 12 अंक और जालंधर का एक्यूआइ छह अंक बिगड़ा है। सोमवार को पटियाला का एक्यूआइ 30 दर्ज किया गया था जोकि मंगलवार को बढ़कर 42 हो गया, वहीं जालंधर का एक्यूआइ सोमवार को 37 रिकॉर्ड किया गया था, जोकि मंगलवार को बढ़कर 43 हो गया।
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