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प्रशासन की नाक तले चलता रहा मौत का दवाखाना, क्लीनिक की नहीं हो सकी जांच

राजपुरा (पटियाला) जिला प्रशासन की नाक तले सालों से मौत की दुकान चलती रही और सेहत विभाग सोता रहा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 11:49 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 06:06 AM (IST)
प्रशासन की नाक तले चलता रहा मौत का दवाखाना, क्लीनिक की नहीं हो सकी जांच
प्रशासन की नाक तले चलता रहा मौत का दवाखाना, क्लीनिक की नहीं हो सकी जांच

संवाद सहयोगी, राजपुरा (पटियाला) : जिला प्रशासन की नाक तले सालों से मौत की दुकान चलती रही और सेहत विभाग सोता रहा। घटना के बाद भी आरोपित के बंद क्लीनिक की जांच के आदेश तक नहीं लिए जा सके। आरोपित डॉक्टर और उसके बेटे की पंजाब मेडिकल कौंसिल में कोई रजिस्ट्रेशन नहीं थी। बावजूद इसके, सालों से वो लोगों की जान से खेलता रहा। सेहत विभाग ने छोलाछाप डॉक्टर की जांच पड़ताल नहीं की। दो बच्चों की जान के खिलवाड़ के बाद पंजाब मेडिकल कौंसिल भी सिविल सर्जन और डीसी पटियाला को लिख कर लापरवाही की वजह पूछने जा रही है। दूसरी ओर कोल्ड बेस्ट पीसी सिरप पीने से चंडीगढ़ अस्पताल पहुंचे पांच साल के सरबजीत की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है।

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घग्गर सराय क्लीनिक चला रहे गरजा सिंह पर पहला मामला 26 फरवरी को सरबजीत सिंह के पिता अवतार सिंह ने दर्ज करवाया था। मामला दर्ज होने के बाद क्लीनिक बंद मिला। गरजा सिंह पर दूसरा पर्चा 3 मार्च को प्रदीप ने दर्ज कराया। इसी घग्गर सराय के क्लीनिक से कोल्ड बेस्ट पीसी सिरप लेने वाले सवा दो साल के अनमोल शर्मा की किडनी और लीवर इंफेक्शन के कारण 26 फरवरी को मौत हो गई थी। मामला संवेदनशील होने के बाद भी बंद क्लीनिक को खोल कर जांच करने का अधिकार किसी के पास नहीं है। थाना इंचार्ज प्रेम सिंह ने कहा कि आला अधिकारियों के आदेश आने के बाद ही ताला तोड़ कर जांच कर सकते हैं। वहीं, सिविल सर्जन हरीश मल्होत्रा ने कहा ताला तोड़ने का अधिकार उनके पास नहीं। हालांकि सिविल सर्जन ने प्रतिबंधित सिरप का इस्तेमाल रोकने के लिए ड्रग इंस्पेक्टर को निर्देश जारी किये हैं, परंतु यदि क्लीनिक की जांच की जाती है तो कई मामलों से पर्दा उठ सकता है।

कार्रवाई न करने पर पीएमसी करेंगी सवाल

पंजाब मेडिकल कौंसिल (पीएमसी) के चेयरमैन डॉ. अमर सतिदर सेखों ने कहा कि पंजाब मेडिकल कौंसिल में केवल एमबीबीएस डॉक्टरों की रजिस्ट्रेशन होती है। जिस तरह आरोपित गरजा सिंह ने अपने नाम के साथ एक्स एएमसी लिखा है तो इससे मेडिकल पेशे का कोई सरोकार नहीं हैं। इस तरह मेडिकल प्रैक्टिस करने वालों पर निगरानी की सीधी जिम्मेदारी सिविल सर्जन या फिर जिला प्रशासन की बनती है। पंजाब मेडिकल कौंसिल के नोटिस में अब जबकि यह मामला आ गया है, तो वह इस मामले पर सिविल सर्जन और जिला प्रशासन से जवाबतलबी करेंगे कि ऐसे अवैध प्रैक्टिस करने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। जांच की रफ्तार पर सवाल

पुलिस और सेहत विभाग ने बंद क्लीनिक के ताले खोलने के लिए कोर्ट का रास्ता नहीं पकड़ा। क्लीनिक की जांच से प्रतिबंधित सिरप की सप्लाई और सिरप किस-किस को दिया जा रहा था जैसे सवालों से पर्दा उठ सकता है। क्लीनिक में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की जांच बच्चों की मौत के पहलू से जुड़ी है। क्लीनिक की जांच से किसी संभावित दुर्घटना से भी बचा जा सकता है। सरबजीत की हालत बनी हुई नाजुक

लंबे इलाज के बाद वीरवार को भी पांच वर्षीय सरबजीत की हालत नाजुक बनी हुई है। सरबजीत को बचाने के लिए डॉक्टर हर तरह के प्रयास कर रहे हैं। पिता अवतार सिंह ने उम्मीद न छोड़ते हुए बेटे के इलाज के लिए हर कोशिश करने को कहा।

कोल्ड बेस्ट पीसी सिरप देने के कारण सरबजीत की किडनी और लीवर में इंफेक्शन हो गया था। गांव नौशहरा निवासी अवतार सिंह अपने बेटे सरबजीत सिंह को खांसी जुकाम होने पर छह फरवरी को गांव घग्गर सराय स्थित डॉ. गरजा सिंह के क्लीनिक ले गए थे। दुकान पर डकॅ. गरजा सिंह और उनके बेटे कुलविदर सिंह ने सरबजीत सिंह को कोल्ड बेस्ट पीसी सिरप दवाई दी। दवा पीने के बाद भी उसका बेटा ठीक नहीं हुआ तो वे फिर से दवा लेने चले गए। आठ फरवरी को बेटे सरबजीत सिंह की फिर तबीयत बिगड़ी तो वे राजपुरा में बच्चों के डॉक्टर दिनेश गर्ग के पास ले गए। डॉ. दिनेश ने जरूरी टेस्ट के बाद सरबजीत की किडनी में इंफेक्शन के बारे में बताया। जिसके बाद सरबजीत को चंडीगढ़ के जीएमसीएच सेक्टर-32 के अस्पताल ले जाया गया था। गिरफ्तारी के लिए बनाई पुलिस टीमें

शंभू पुलिस आरोपित डॉ. गरजा सिंह उसके बेटे कुलविदर सिंह की तलाश में उनके संबंधियों और दोस्तों के पास रेड कर चुकी है। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए टीमों का गठन किया गया है। क्लीनिक के ताले तो उच्चाधिकारियों के आदेश आने के बाद ही खोल सकते हैं।

..प्रेम सिंह इंचार्ज थाना शंभू


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