चौक को सत्यप्रकाश की प्रतिमा लगने का इंतजार
मार्च 1990 में आरएसएस से जुड़े और भाजपा नगर कौंसिल प्रधान पद पर रहे वरिष्ठ समाज सेवी सत्यप्रकाश प्रभाकर की आतंकवादियों ने गोलियां मारकर हत्या कर दी थी।
प्रिस तनेजा, राजपुरा (पटियाला)
मार्च 1990 में आरएसएस से जुड़े और भाजपा नगर कौंसिल प्रधान पद पर रहे वरिष्ठ समाज सेवी सत्यप्रकाश प्रभाकर की आतंकवादियों ने गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। उस दौरान उनकी अंतिम अरदास में पहुंचे भाजपा नेताओं ने इस चौक का नाम बदलने व प्रतिमा लगाने का जोरशोर से एलान किया था। इसके लिए समिति का भी गठन किया गया था पर आज 32 साल बाद भी यहां टाहलीवाला चौक को उनका नाम तो मिला लेकिन अब तक उनकी प्रतिमा यहां नहीं लग पाई है।
सत्य प्रकाश प्रभाकर हमेशा हिदू-सिख समाज को मोती की माला में पिरोने वाली एक कड़ी का कार्य करते थे। आतंकवादियों को उनके इस मेल मिलाप पर आपत्ति थी और उन्हें लगातार धमकियां मिलने के बाद भी उन्होंने सरकार से सिक्योरिटी नहीं ली। 16 मार्च 1990 को कुछ आतंकवादियों ने प्रभाकर को घर में ही काम के सिलसिले में बाहर बुलाकर गोलियां मार दीं। भाजपा नेताओं के साथ समाज सेवी लोगों ने इलाके के प्रसिद्ध टाहली वाला चौक का नाम व उनकी प्रतिमा लगाने का जिम्मा लिया था। चौक को उनका नाम तो मिला लेकिन प्रतिमा नहीं लग पाई पिता की मौत के बाद सारा परिवार सदमे में चला गया
मोहली डीसी आफिस में सीनियर असिस्टेंट नियुक्त विजय प्रभाकर ने बताया कि जब आतंकवादियों ने उनके पिता सत्य प्रकाश प्रभाकर को गोलियां मारीं तो उस वक्त वह आठवीं कक्षा में पढ़ते थे। उनका छोटा भाई नवीन प्रभाकर सातवीं में और बड़ी बहन गरिमा दसवीं में पढ़ रही थी। पिता की मौत के बाद सारा परिवार सदमे में चला गया था। उनकी माता तो पति की मौत के बाद कभी हंस भी नहीं पाई थी और गम में 2010 में उनका भी निधन हो गया।