जागरण संवाददाता, पटियाला : पंजाबी यूनिवíसटी में 300 मीटर के दायरे में विद्यार्थी संगठन डीएसओ, सेफी और पीएसयू ललकार अब धरना नही दे सकेंगे। यह फैसला यहा लोअर कोर्ट किया है। पिछले लंबे समय से मागों को लेकर विद्यार्थी संगठन यहा यूनिवíसटी में वीसी दफ्तर के आगे धरना देते रहे हैं।
2016 में यूनिवíसटी प्रशासन ने इस मामले को लेकर लोअर कोर्ट से केस फाइल किया था। जिसमें डीएसओ से प्रधान अजायब सिंह, जसप्रीत कौर, अमरजीत सिंह, राजवीर कौर और रणजोध कौर, सेफी से पुनमदीप सिंह हरविंदर संधू और जोगिंदर सिंह तथा ललकार संगठन से जसमीत सिंह को पर्सनल तौर पर पार्टी बनाया गया था। कोर्ट ने 23 अक्टूबर 2020 को फैसला लिया। जिसमें कोर्ट ने साफ किया कि यह जत्थेबंदियां यूनिवíसटी के 300 मीटर के दायरे में धरना नहीं दे सकेगी। कोर्ट के इस फैसले को लेकर स्टूडेंट्स जत्थेबंदियों में रोष है।
इस बारे में सेफी के पूर्व प्रधान हरविंदर संधू ने कहा के वह इस फैसले को चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि ये फैसला विद्यार्थियों की आवाज को दबाने के लिए लिया गया है। संधू ने कहा कि इस फैसले से विद्यार्थी संगठन अपनी मांगों को लेकर अपनी आवाज नहीं उठा सकते। वहीं, डीएसओ के प्रधान बलकार सिंह ने कहा कि कोर्ट का यह फैसला विद्यार्थियों के खिलाफ है और उनकी आवाज दबाई जा रही है। जत्थेबंदी इस फैसले को लेकर अपील दायर करेगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले से विद्यार्थियों में रोष पाया जा रहा है। जाथेबंदियां यूनिवíसटी की इस कार्रवाई को किसी भी प्रकार से बर्दाश्त नहीं करेंगी। उधर, जब इस मामले के बारे में रजिस्ट्रार से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने ने फोन नहीं उठाया। हैरानी की बात है कि सेफी के जिन सदस्यों को पार्टी बनाया गया था, उन्हें न तो कोई समन आया और न ही कोर्ट की ओर से कोई नोटिस भेजा गया। बिना कुछ सुने कोर्ट ने यह फैसला किया है। हरविंदर संधू व उनके साथी इसके खिलाफ अपर कोर्ट में जाएंगे।
- गगनदीप सिंह, एडवोकेट
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