सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 सड़को पर उतरेंगे अनुसूचित भाईचारा
पटियाला सुप्रीम कोर्ट की ओर से सात फरवरी को नौकरियों पर नौकरी के दौरान तरक्की में आरक्षण को लेकर आए फैसले के खिलाफ भारत के अनुसूचित जातियों के लोगों में गुस्सा है।
जेएनएन, पटियाला : सुप्रीम कोर्ट की ओर से सात फरवरी को नौकरियों पर नौकरी के दौरान तरक्की में आरक्षण को लेकर आए फैसले के खिलाफ भारत के अनुसूचित जातियों के लोगों में गुस्सा है। इस संबंधित 23 फरवरी के भारत बंद का समर्थन देने के लिए डॉ. आंबेडकर कर्मचारी महासंघ, पंजाब के राज्य प्रधान और पंजाब में दलितों की आवाज बुलंद कर रहे नेता डॉ. जतिदर सिंह मट्टू की तरफ से बस स्टैंड पटियाला में ऐसे गलत फैसले के खिलाफ अलग-अलग सामाजिक धार्मिक और कर्मचारी जत्थेबंदियों के प्रतिनिधियों को साथ लेकर रोष प्रदर्शन किया जाएगा। नेता डॉ. जतिदर सिंह मट्टू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नौकरियों में आरक्षण को भारत में राज्य की सरकारों की दया पर फेंकने के साथ साथ नौकरियों में आरक्षण को मौलिक अधिकार मानने से इंकार कर दिया है। जबकि बाबा साहिब डॉ. बीआर आंबेडकर ने भारतीय संविधान में आर्टिकल 16(4) को मौलिक अधिकार की श्रेणी में रखा था। उन्होंने कहा कि देश की शासक सरकार के इशारे पर हुआ यह फैसला अब तक का दलितों पर सबसे बड़ा हमला है। जिसके खिलाफ पूरे देश के अनुसूचित जाति को सड़क पर उतरना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण ही नहीं दिया जाएगा तो उनके बच्चे पढ़ने लिखने के बावजूद में कभी सरकारी नौकरी में नहीं आ सकेंगे। उन्होंने कहा कि देश में तानाशाही का नाच चल रहा है। एक तरफ सीएए, एनआरसी लागू करके संविधान का नुकसान किया जा रहा है। इस अवसर पर एफसी जस्सल, शमीम शेख, जगमोहन चौहान ने कहा कि दलितों और अल्पसंख्यकों को अब नींद से जागना पड़ेगा और सरकारों की तरफ से किए जा रहे ऐसे फैसलों के खिलाफ दलितों को तीखा संघर्ष शुरु करना पड़ेगा।