पंजाबी यूनिवर्सिटी की गंडा सिंह रेफरेंस लाइब्रेरी में चूहे, वीडिया हुआ वायरल
पंजाबी यूनिवर्सिटी की गंडा सिंह रेफरेंस लाइब्रेरी का स्टाफ व लाइब्रेरी जाने वाले विद्यार्थी चूहों से परेशान हैं।
बलविदरपाल सिंह, पटियाला
पंजाबी यूनिवर्सिटी की गंडा सिंह रेफरेंस लाइब्रेरी का स्टाफ व लाइब्रेरी जाने वाले विद्यार्थी चूहों से परेशान हैं। वहीं, समस्या को लेकर एक विद्यार्थी ने सोशल मीडिया पर फोटो वायरल कर यूनिवर्सिटी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है। वायरल की फोटो में दो चूहे टेबल पर, जहां किताबें रखी जाती हैं, घूम रहे हैं। वहीं, यूनिवर्सिटी अधिकारी दावा कर रहे हैं कि इन चूहों से लाइब्रेरी में पड़े रिकॉर्ड को अब तक कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। पर यह मामला सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। लाइब्रेरी में विद्वानों का रिकॉर्ड हो रहा बेकार
सोशल मीडिया पर लाइब्रेरी के मामले को वायरल करने वाले व्यक्ति ने लाइब्रेरी के कर्मचारी व अधिकारियों के कामकाज को लेकर भी सवाल खड़ा किया। उनका कहना है कि लाइब्रेरी में मौजूद किताबें स्टूडेंटस को पढ़ने के लिए नहीं दी जाती। इस लाइब्रेरी में भाई काहन सिंह नाभा, शमशेर सिंह अशोक, मोहन सिंह वैद, भाई जोध सिंह, प्रिसिपल तेजा सिंह, डॉ. गंडा सिंह, महिदर सिंह रंधावा के अलावा विभिन्न विद्वानों का रिकॉर्ड रखा है। यह रिकॉर्ड विद्वानों के परिवारों ने लाइब्रेरी को दान किया है, पर लाइब्रेरी में चूहों के चलते यह रिकॉर्ड खराब हो रहा है। अधिकारी व कर्मचारी इस रिकॉर्ड की संभाल के लिए कोई उचित कदम नहीं उठा रहे। वहीं, अधिकारियों ने लाइब्रेरी के रिकॉर्ड को डिजिटल करने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया। जिसके चलते यह रिकॉर्ड आने वाले समय में खराब हो जाएगा। चूहों से लाइब्रेरी स्टाफ भी परेशान
लाइब्रेरी में चूहों की मार से विद्यार्थियों सहित गंडा सिंह लाइब्रेरी स्टाफ भी परेशान है। लाइब्रेरी के इंचार्ज ज्ञान सिंह ने कहा कि इस समस्या से वह भी परेशान हैं। चूहों की दिक्कत के चलते रिकॉर्ड की संभाल अति जरूरी बन जाती है। सोशल मीडिया पर जारी हुई फोटो सही है, पर लाइब्रेरी में मौजूदा रिकॉर्ड को अब तक कोई नुकसान नहीं पहुंचा। रिकॉर्ड शीशे की अलमारी में बंद पड़ा है। इस समस्या को खत्म करने के लिए एक प्राइवेट कंपनी से संपर्क किया जा रहा है। पता चला है कि कंपनी एक साल की गारंटी लेती है। ज्ञान सिंह ने बताया कि लाइब्रेरी के रिकॉर्ड को डिजिटल करने का काम भी चल रहा है। इससे पहले काफी रिकार्ड डिजिटल किया जा चुका है।