... ताकि पानी को न तरसे पंजाब, सरकार ने उठाया अहम कदम
पंजाब में जल समस्या के समाधान के लिए बड़ा फैसला किया गया है। राज्य के 274 गांवों में छप्पड़ों (तालाबों) को संरक्षित किया जाएगा।
पटियाला, [नवनीत छिब्बर]। पंजाब में पानी की पानी समस्या के हल के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पानी की और जल प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे पंजाब के 137 ब्लॉक के 274 गांवों में छप्पड़ों (तालाबों) के संरक्षण का बीड़ा पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) ने उठाया है। पीपीसीबी सीचेवाल मॉडल को अपनाकर राज्य के गिरते जलस्तर को संभालने की कवायद में जुट गया है। इसमें पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल का सहयोग लिया जाएगा।
274 गांवों में छप्पड़ों को किया जाएगा संरक्षित, जागरण की पहल पर पीपीसीबी ने उठाया कदम
ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। पीपीसीबी के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू का कहना है कि दैनिक जागरण समय-समय पर गिरते भूजल स्तर को लेकर चेताता रहता है। जागरण की पहल पर ही यह कदम उठाया गया है। पीपीसीबी राज्य के हर ब्लॉक के दो गांवों को गोद लेगा और यहां गिरते भूजल स्तर को संभालने पर काम करेगा। गांव चयनित करने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू की जाएगी। बोर्ड ने सूबे के छप्पड़ों को संरक्षित कर इसके पानी को ङ्क्षसचाई योग्य बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
गिरते भूजल स्तर को उठाने के लिए संत सीचेवाल मॉडल अपनाने की पहल
ज्यादातर गांवों के छप्पड़ों पर अवैध कब्जों के चलते नामोनिशान मिट गया है। जिन गांवों में छप्पड़ बचे हैं, उनका दूषित पानी भूमिगत पानी के स्तर को खराब कर बीमारियां पैदा कर रहा है। इस पर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए पीपीसीबी ने इनको बचाने और इस्तेमाल योग्य बनाने का फैसला किया है।
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सरल व वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित है सीचेवाल मॉडल
गांव सीचेवाल का छप्पड़ सुधार मॉडल एक बहुत ही सरल और वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम है। इसे बहुत कम कीमत पर बनाया जा सकता है। संत बलवीर सिंह सीचेवाल की मदद से पीपीसीबी की देखरेख में इन गांवों के छप्पड़ों में सुधार कर पानी को कृषि के लिए फिर प्रयोग के योग्य बनाया जाएगा।
रंग लाई जागरण की मुहिम
जागरण लगातार पानी के गिरते स्तर को लेकर लोगों को जागरूक कर रहा है। पंजाब के छप्पड़ों, जलगाहों और पानी बचाने के लिए समय-समय पर मुहिम चलाई जाती रही है। इसके चलते अब पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से छप्पड़ों को बचाने के लिए पहल की गई है।
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'' हर ब्लॉक के दो-दो गांव बाकी पंचायतों के लिए मार्गदर्शक बनेंगे। छप्पड़ों का कायाकल्प होने के साथ ट्रीटमेंट किए गए पानी का इस्तेमाल ङ्क्षसचाई के लिए होगा। यह सिस्टम जमीनी पानी के गिरते स्तर को बचाने का साधन भी बनेगा। दैनिक जागरण की पहल के बाद पीपीसीबी ने इसका बीड़ा उठाया है।
- काहन सिंह पन्नू, चेयरमैन पीपीसीबी।
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'' पीपीसीबी ने पंजाब के छप्पड़ों के संरक्षण के लिए बात की थी। हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई लिखित कार्ययोजना नहीं दी गई है। हमारी संस्था एक ओंकार चैरिटेबल ट्रस्ट राज्य में यह काम करने के लिए तैयार है। हम जिस प्रणाली को अपना रहे हैं, वह पूरी तरह प्राकृतिक व वैज्ञानिक है। इसके जरिए पानी को कुदरती तौर पर इस्तेमाल के योग्य बनाया जा सकता है और इसमें खर्च भी बहुत कम है।
- पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल।