धरती का भगवान खफा : निजी डाक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को करना पड़ा परेशानियों का सामना
सेंट्रल काउंसिल इंडियन मेडिसन (सीसीआइएम) की ओर से आयुर्वेदिक डाक्टरों को सर्जरी करने की दी अनुमति के खिलाफ शुक्रवार सुबह जिला के करीब 300 अस्पताल क्लीनिक सहित लैब्स में काम नहीं हुआ।
जागरण संवाददाता, पटियाला : सेंट्रल काउंसिल इंडियन मेडिसन (सीसीआइएम) की ओर से आयुर्वेदिक डाक्टरों को सर्जरी करने की दी अनुमति के खिलाफ शुक्रवार सुबह जिला के करीब 300 अस्पताल, क्लीनिक सहित लैब्स में काम नहीं हुआ। इस दौरान 800 डाक्टरों के साथ पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों ने ओपीडी बंद रखी। इससे जहां मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी, वहीं सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आम दिन के मुकाबले 20 प्रतिशत मरीज बढ़े, लेकिन बड़ी संख्या में मरीज बिना दवा, बिना टेस्ट करवाए लौट गए।
आइएमए व आइडीए के सदस्यों ने मेडिकल कालेज से लेकर फव्वारा चौक तक सुबह आठ से रोष मार्च निकालना शुरू कर दिया और चौक पर हाथों में पोस्टर व बैनर के जरिए प्रदर्शन कर नारे लगाए। दूसरी ओर, जिले के प्राइवेट अस्पतालों, क्लीनिकों पर शाम आठ बजे तक मरीजों का चेकअप नहीं किया गया। इसके साथ ही लैब्स में भी मेडिकल टेस्ट नहीं हुए। इस दौरान मरीज टेस्ट करवाने के लिए एक से दूसरी लैब तक भटकते रहे।
सरकारी अस्पतालों में बीपी व शूगर के मरीज बढ़े
प्राइवेट अस्पतालों में हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में बीपी और शूगर के मरीजों की संख्या 20 प्रतिशत तक बढ़ गई। इस संबंधी जानकारी देते हुए राजिदरा अस्पताल के डा. एचएस रेखी ने बताया कि जहां आम दिनों में ओपीडी करीब 700 रहती है। वहीं शुक्रवार को ओपीडी में 20 प्रतिशत ज्यादा मरीज आए हैं। माता कौशल्या में भी आम दिनों के मुकाबले 100 के करीब ज्यादा मरीज ओपीडी में आए।
मेडिकल सुविधाएं रिसर्च पर आधारित : डा. कपूर
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एवं इंडियन डेंटल एसोसिएशन के प्रधान अजातशत्रु कपूर व डा. रमेश शर्मा ने बताया कि सीसीआइएम की ओर से हाल ही में आयुर्वेदिक डाक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत दी है, जो गलत है। वे कहते हैं कि आजकल मरीजों को दी जा रही मेडिकल सुविधाएं आधुनिक के अलावा रिसर्च पर आधारित है। मरीजों की सर्जरी करने के लिए एक डाक्टर को लंबे समय तक प्रैक्टिस करने के साथ-साथ सर्जरी करने का अनुभव होना लाजमी है। बिना अनुभव के की गई सर्जरी किसी भी मरीज के लिए जान का खतरा बन सकती है। ऐसे में आयुर्वेदिक स्टूडेंट्स को सर्जरी करने की अनुमति देना खतरनाक साबित हो सकता है। कान में दर्द था, नहीं हो सका चेकअप : अमरजीत सिंह
पातड़ां से आए अमरजीत सिंह ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से कान में दर्द हो रहा था। इस कारण वह प्राइवेट अस्पताल आए थे, लेकिन यहां पता चला कि डाक्टर हड़ताल पर हैं। इस कारण अब कल दोबारा आना पड़ेगा।
माता की बीपी की दवाई खत्म हो गई थी, नहीं मिली : हरजीत सिंह
भुनरहेड़ी से आए हरजीत सिंह ने बताया कि माता को हाई बीपी की परेशानी है। इसके चलते उनका लंबे समय से इलाज चल रहा है। वीरवार को उनकी दवाई खत्म हो गई। इसके चलते वह डाक्टर के पास चेकअप के लिए आए थे, लेकिन हड़ताल के कारण डाक्टर नहीं मिले।