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कैप्टन का दौरा कितना प्रभावी, वोटरों की नब्ज टटोलेंगे विरोधी कैंडिडेट्स

पत्नी परनीत कौर के लिए तूफानी रैलियां करने के बाद बेशक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह पटियाला से जा चुके हैं परंतु विरोधियों की नींद अभी तक उड़ी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 08:05 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 08:47 PM (IST)
कैप्टन का दौरा कितना प्रभावी, वोटरों की नब्ज टटोलेंगे विरोधी कैंडिडेट्स
कैप्टन का दौरा कितना प्रभावी, वोटरों की नब्ज टटोलेंगे विरोधी कैंडिडेट्स

संजय वर्मा, पटियाला

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पत्नी परनीत कौर के लिए तूफानी रैलियां करने के बाद बेशक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह पटियाला से जा चुके हैं, परंतु विरोधियों की नींद अभी तक उड़ी हुई है। मुख्यमंत्री का दौरा कितना प्रभावी रहा विरोध पार्टियां वोटरों की नब्ज टटोलने को विवश हो गई है। हालांकि लोकल पटियाला के वोटरों पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह का प्रभाव पड़ा है। पटियाला के विकास और भाजपा के प्रधानमंत्री की ओर से पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार पर कैप्टन की टिपप्णी ने कईयों का मन बदला है।

मुख्यमंत्री को सुनने का मौका बेशक सारे शहर वासियों को नहीं मिला, परंतु जितने भी उनको रैलियों में सुनने आए उनके विचार कुछ बदले से नजर आए। वहीं विपक्षी दलों की नजर भी कैप्टन अमरिदर सिंह की मीटिग पर रही। शाही परिवार का गढ़ पटियाला शहरी और देहाती में मुख्यमंत्री की मीटिग के बाद कांग्रेस की वर्तमान पकड़ जांचने के लिए दूसरे उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ चर्चा करते रहे, वहीं मीडिया के जुड़े लोगों से भी पूछा गया कि पटियाला की जनता क्या कह रही है। वोट आंकड़ों के जोड़-तोड़ में जुटे चुनावी उम्मीदवार खुल कर इस पर टिप्पणी तो नहीं कर रहे परंतु अंदरखाते सभी साधनों से सीएम के दौरे के प्रभाव पता कर रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी और नवां पंजाब पार्टी के उम्मीदवार एक बार फिर से नई ऊर्जा के साथ पब्लिक मीटिग में जुट गए है।

सिपहसालारों को कैप्टन का खास प्रभाव न होने का देते रहे तर्क

पार्टी सूत्रों के मुताबिक सीएम की रैलियों के खिलाफ कहने को कुछ नहीं परंतु अपने सिपहसालारों को कैप्टन का कुछ खास प्रभाव न होने का तर्क देकर चुनावी जंग में जुटे रहने का हौसला दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की ओर से पटियाला को शुद्ध जल के लिए नहरी पानी प्रोजेक्ट और दूसरे विकास कार्यों का वायदा किये जाने के साथ ही समय पर युवाओं को मोबाइल न देने की विवशता बताने के बाद एक बार लोगों की सहानुभूति कैप्टन के साथ हो गई। विरोधियों द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि सीएम का मोहपाश तोड़कर वोटरों को अपने विश्वास में ले। वहीं वोटर्स भी प्रधानमंत्री के मुद्दे की बजाय कैप्टन का साथ देने पर सोचने लगे हैं।

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