Move to Jagran APP

बाजार में बिक रहीं श्री काली देवी को चढ़ी पोशाक व चुनरियां

उत्तर भारत के ऐतिहासिक मंदिर श्री काली देवी में भक्तों की ओर से माता जी को चढ़ाई गई पोशाक व चुनरियां फिर वापस बाजारों में बिकने लगी हैं। अब चुनरियां, पोशाकें, नारियल, श्रृंगार व अन्य सामग्री को श्रद्धालुओं को देने के बजाय ठेकेदार के दी जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 07:20 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 07:20 PM (IST)
बाजार में बिक रहीं श्री काली देवी को चढ़ी पोशाक व चुनरियां
बाजार में बिक रहीं श्री काली देवी को चढ़ी पोशाक व चुनरियां

सुरेश कामरा, पटियाला

loksabha election banner

उत्तर भारत के ऐतिहासिक मंदिर श्री काली देवी में भक्तों की ओर से माता जी को चढ़ाई गई पोशाक व चुनरियां फिर वापस बाजारों में बिकने लगी हैं। अब चुनरियां, पोशाकें, नारियल, श्रृंगार व अन्य सामग्री को श्रद्धालुओं को देने के बजाय ठेकेदार के दी जा रही हैं। इससे साफ है कि वह सामग्री को खरीदकर वापस बाजार में बेचेगा और बिकने के बाद वो सारी सामग्री एक बार फिर मंदिर में माता जी को चढ़ाई जाएगी ।

मर्यादा के खिलाफ

प्रक्रिया को ¨हदू मर्यादा के खिलाफ बताया जा रहा है कि एक बार दरबार में चढ़ चुकी सामग्री को वापस बाजार में बेचा जाएगा। इससे पहले जो भी पोशाक या फिर चुनरी माता जी को चढ़ाई जा रही थी वह या तो मंदिर में आने वाले लोगों को बतौर सम्मान दे दी जाती थी या फिर कंजकों को पहनाई जा रही थी। फिर से बाजार में इस तरह की सामग्री न बिकने के लिए पूर्व मंदिर एडवाइजरी कमेटी ने यह प्रस्ताव पास किया था कि पोशाक या चुनरी पर स्टैंप लगा दी जाए, जिससे वो वापस न तो बाजार में बिक सके और न ही उसे मां के दरबार में चढ़ाया जा सके। सरकार बदलने के साथ-साथ एडवाइजरी कमेटी बदली और अब यह काम शुरू हो गया है । 65 रुपये की पोशाक

मंदिर प्रशासन की ओर से ठेकेदार को सामग्री दी जा रही है, जिसमें माता श्री काली देवी जी को चढ़ाने वाली पोशाक 65 रुपये, बढ़ी चुनरी 15 रुपये, नारियल पर लिपटी चुनरी एक रुपया, नारियल 3.50 रुपये व ¨सदूर का सामान भी तय किए दाम पर दिया जा रहा है । ऐसे में साफ है कि जो ठेकेदार सामग्री खरीदकर जा रहा है वो उसे नहर में नहीं फेंकेगा और न ही उसे फ्री में बांटेगा । इतनी राशि से खरीदी गई सामग्री को फिर से दुकानों पर बेचा जा रहा है और वो सामान फिर से मां के चरणों में वापिस आ रहा है । उक्त फैसले का शहर के ¨हदू संगंठन व श्रद्धालु विरोध जता रहे हैं कि मंदिर की आय बढ़ाने के लिए मर्यादा को नहीं तोड़ना चाहिए । आय बढ़ाने के अन्य भी कई रास्ते हैं। मंदिर की आय में हुआ इजाफा : आहलूवालिया

डीसी ऑफिस से मंदिर के सुपरवाइजर राजेश आहलूवालिया बताते है कि पोशाक, चुनरी सहित अन्य सामग्री को बेचने के लिए ठेका दिया गया है। इससे पहले यह सामान श्रद्धालुओं में बांटा जा रहा था जबकि अब ठेकेदार को देने से मंदिर की आय में बढ़ोतरी हो गई है ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.