जागरण संवाददाता, पटियाला : पंजाबी यूनिवर्सिटी में नान टीचिग मुलाजिमों की संख्या जरूरत से ज्यादा है। दूसरी ओर टीचिग स्टाफ जिसकी यूनिवर्सिटी में ज्यादा जरूरत रहती है उसकी कमी चल रही है। पिछले समय में पूर्व वीसी ने यूनिवर्सिटी में जरूरत से ज्यादा मुलाजिमों की भर्ती की थी। यहीं कारण है कि यूनिवर्सिटी का वित्तीय संकट बढ़ता ही जा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह यूनिवर्सिटी को लेकर काफी गंभीर है। उम्मीद है कि यूनिवर्सिटी को ग्रांट जारी करेंगे। यह बात उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिदर सिंह बाजवा ने पंजाबी यूनिवर्सिटी के स्पोर्ट्स असिस्टेंट डायरेक्टर डा. दलबीर सिंह रंधावा के अर्बन एस्टेट फेज-2 स्थित घर में प्रोग्राम में शामिल होने के दौरान कही। इस दौरान उनके साथ घनौर के विधायक मदनलाल जलालपुर सहित यूनिवर्सिटी के मुलाजिम यूनियन के नेता भी मौजूद थे।
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ओपन व स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के मामले पर मंत्री बाजवा रहे चुप
ओपन यूनिवर्सिटी व स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी खुलने से पंजाबी यूनिवर्सिटी को नुकसान होगा। इस सवाल पर मंत्री बाजवा चुप रहे। वित्तीय संकट के कारण खोज कार्य बंद होने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि लगता है कि पंजाबी यूनिवर्सिटी खोज कार्य के लिए नहीं रोजगार के लिए बन गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह यूनिवर्सिटी को ग्रांट देंग। मुलाजिमों को खुद पता है कि पंजाबी यूनिवर्सिटी क्यों वित्तीय संकट में घिरी हुई है।
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पीयू में सख्त फैसले लेने वाले वीसी की जरूरत
घनौर के एमएलए मदनलाल जलालपुर ने कहा कि पंजाबी यूनिवर्सिटी में सख्त फैसले लेने वाले वाइस चांसलर की जरूरत है। 2016 से पहले यूनिवर्सिटी में हद से ज्यादा मुलाजिमों की भर्ती की गई। इसके चलते आज यूनिवर्सिटी वित्तीय संकट झेल रही है। जलालपुर ने यूनिवर्सिटी मुलाजिमों से सुझाव मांगे और कहा कि वे खुद इन सुझावों को सीएम के समक्ष रखेंगे। इस दौरान पंजाब एजुकेशन बोर्ड के पूर्व चेयरमैन दलबीर सिंह ढिल्लों, डीडीपीओ सुरिदरपाल सिंह, हरविदर सिंह खालसा, इतिहास विभाग के प्रमुख डा.अदरीश, मोहम्मद जहीर लोरे, प्रो. गुरनाम सिंह, मनजिदर सिंह, परमजीत सिंह, गुरजीत सिंह, अंग्रेज सिंह, रजिदर राजू, मनोज भांबरी, बहादर सिंह, हरभजन सिंह संधू मौजूद थे।
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