Move to Jagran APP

गोशाला संचालक बोले, नहीं रखेंगे निगम के बेसराहा पशु

पटियाला शहर एवं आसपास के गांवों में गोशाला चला रहे संचालक साफ तौर पर कह रहे हैं कि सरकार ने लोगों पर तो गो सेस का भार डाल रखा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 12:51 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 06:14 AM (IST)
गोशाला संचालक बोले, नहीं रखेंगे निगम के बेसराहा पशु
गोशाला संचालक बोले, नहीं रखेंगे निगम के बेसराहा पशु

जागरण संवाददाता, पटियाला : शहर एवं आसपास के गांवों में गोशाला चला रहे संचालक साफ तौर पर कह रहे हैं कि सरकार ने लोगों पर तो गो सेस का भार डाल रखा है। न तो सरकार गो सेवा कर रही है और न ही उसे संभाल रही है। जो गोशालाएं गोधन को संभाल रही हैं, वे भी साफ तौर पर कह रहीं है कि शहरों के बाजारों में घूम रहे बेसहारा पशुओं को अपनी गोशाला में नहीं रखेंगे, क्योंकि सरकार न तो वित्तीय मदद करती है न ही कोई चारा देती है । पशु के लिए तय राशी नहीं मिल रही

prime article banner

जिन गोशालाओं में सरकार ने गोधन छोड़ रखा है, उनको भी बीते एक साल से प्रति पशु के हिसाब से तय राशि नहीं मिल रही है। हालांकि गोशालाएं संभाल रही संस्थाएं खुलकर सामने नहीं आ रही हैं, क्योंकि वे गोसेवा की भावना से चल रही हैं और यह कह रही हैं कि अगर राशि नहीं मिल रही है तो कोई बात नहीं उनकी कमेटी के सदस्य निजी तौर पर खर्च करके गोधन को चारा खिलाएंगे। बहुत जगह है चौरा की गोशाला के पास

राजपुरा रोड स्थित गांव चौरा की गोशाला के पास गोधन रखने के लिए जगह बहुत है, लेकिन इमारत नहीं है। ट्रस्ट श्री गुरु चरण स्मृति चौरा गोशाला के संचालक बताते हैं कि गोशाला में 200 गोवंश हैं, जिसमें बैल व बछड़े शामिल हैं। गोशाला के पास दो हॉल हैं जहां पर 200 पशुओं के खड़े करने की जगह है। गर्मी में पशुओं को बाहर छोड़ा जा सकता है, लेकिन सर्दी में रात के समय शेड से बाहर पशुओं को नहीं रखा जा सकता है। उनके पास भी नगर निगम द्वारा छोड़े गए 40 पशु हैं। उधर, मथुरा कॉलोनी में स्थित निस्वार्थ पशु स्वा सोसाइटी के मुताबिक उनके पास 90 पशुधन है। फंड की कमी लगातार रहती है जिसे वे निजी तौर पर एकत्रित करते हैं। पशुचारा नजदीकी गांववासी देकर जाते हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि वे नगर निगम द्वारा शहर से पकड़ने के बाद उनके पास छोड़े गए पशुओं को नहीं रखेंगे, क्योंकि सरकार गो सैस तो लेती आ रही है, लेकिन बेसहारा पशुओं के लिए कोई राशि नहीं दे रही है। उनके पास जगह की कमी है और मैन पावर भी कम है। गोबर का गोशाला में ढेर लगा हुआ है जिसे हटाने के लिए उनके पास लेबर नहीं है। ऐसे में साफ है कि शहर के गोशाला संचालक सरकार से गो सेस के नाम पर खफा हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.